नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 को हुई घटना ने हर किसी को गुस्से और खीझ से भर दिया था। इस घटना के बाद सड़के से लेकर संसद तक काफी कुछ बदलने की बातें हुईं, लेकिन अगर आंकड़ों पर बात की जाए तो कुछ भी बदलाव होता नहीं दिखा। उन दिन का जन आक्रोश देखकर लगा था कि मानो उस दिन के बाद महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा, छेड़छाड़ और रेप जैसी घटनाओं पर काफी हद तक लगाम लग जाएगी, लेकिन आंकड़े खुद गवाही देते हैं कि भारत में हर दिन 92 महिलाएं रेप की शिकार होती हैं जिनमें से 4 सिर्फ दिल्ली से होती हैं। (अगले राष्ट्रपति के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की हो रही है चर्चा.....)
क्या कहते हैं साल 2016 के आंकड़े-
जिस समय निर्भया की यह घटना घटी उसके बाद भी दिल्ली में रेप केस में कोई बदलाव नहीं हुआ। साल 2016 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2015 में बलात्कार के 33,707 मामले दर्ज हुए और इसके अगले साल में जब यह रिपोर्ट आई तो यह संख्या 36,707 थी। साल 2015 में भी 34,651 महिलाओं या लड़कियों के साथ में बलात्कार के मामले दर्ज हुए। सोचिए, निर्भया के बाद भी कहां पहुंचे हम.! NCRB की डेटा के अनुसार रेप केस की यह संख्या पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा थी।
क्या कहते हैं साल 2013 के आंकड़े-
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में 33,707 लोगों की ओर से रेप का केस दर्ज कराया गया था। इनमें से 33,764 लोग पीड़ित पाए गए जिसमें से 13.1 प्रतिशत 14 साल से कम उम्र की लड़कियां, 26.3 प्रतिशत 14 से 18 की उम्र की लड़कियां, 46.1 प्रतिशत 18 से 30 साल की महिलाएं, और 13.8 प्रतिशत 30 से 50 साल की महिलाएं शामिल थी।
क्या कहते हैं साल 2014 के आंकड़े- 2014 में रेप केस में और भी इजाफा देखने को मिला। साल 2013 के मुकाबले 2014 में 2,069 रेप केस दर्ज हुए।
जानिए दुनिया के अन्य किन देशों में रेप जैसी घटनाओं से दो चार होती हैं महिलाएं