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कैसे हटा था Article 370? सरकार ने की थी गजब की प्लानिंग

5 अगस्त 2019, ये तारीख को अगर भारतीय इतिहास में पढ़ाया जाने लगे तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। इस दिन जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिलाने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया। अब अगर यह समझना है कि Article 370 को कैसे खत्म किया गया? तो पहले समझिए कि इसमें था क्या? क्योंकि, Article 370 को हटाने का रास्ता भी Article 370 में ही था लेकिन बस थोड़ा जटिल रास्ता था।

Reported by: Lakshya Rana @LakshyaRana6
Published on: August 05, 2021 17:14 IST
कैसे हटा था Article 370? सरकार ने की थी गजब की प्लानिंग- India TV Hindi
Image Source : PTI कैसे हटा था Article 370? सरकार ने की थी गजब की प्लानिंग

नई दिल्ली: 5 अगस्त 2019, ये तारीख को अगर भारतीय इतिहास में पढ़ाया जाने लगे तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। इस दिन जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिलाने वाले आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया। अब अगर यह समझना है कि Article 370 को कैसे खत्म किया गया? तो पहले समझिए कि इसमें था क्या? क्योंकि, Article 370 को हटाने का रास्ता भी Article 370 में ही था लेकिन बस थोड़ा जटिल रास्ता था।

अस्थाई था आर्टिकल 370

जब भारतीय संविधान बना तो उसमें अस्थाई चीजों के लिए भाग 21 बनाया गया था। इसमें आर्टिकल 369 से लेकर 392 तक शामिल थे। इसी में आता था आर्टिकल 370। मतलब यह अस्थाई तौर पर संविधान में जोड़ा गया था। पहली बात तो यहीं साफ हो जाती है कि संविधान में जहां इसे जगह दी गई थी, वह बताती है कि यह अस्थाई था।

क्या कहता था Article 370?

Article 370 में तीन मेन क्लॉज थे। इसके पहले क्लॉज में चार सब क्लॉज थे- A, B, C और D. इसके B वाले हिस्से में जम्मू-कश्मीर पर संसद की क्या शक्तियां होंगी, उसके बारे में बताया गया था। इसमें बताया गया कि देश की संसद राज्य के लिए किन-किन विषयों पर कानून बना सकती है। C सब क्लॉज में बताया गया कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान के आर्टिकल 1 और आर्टिकल 370 ही लागूं होंगे। उसके अलावा कुछ नहीं। और, D में कहा गया कि अगर कोई और आर्टिकल यहां लागू करना है तो उसके लिए राष्ट्रपति आदेश जारी करेंगे। लेकिन, वह भी राज्य के परामर्श या सहमति से ही जारी किया जाएगा।

Article 370 का दूसरा और तीसरा क्लॉज

इसके दूसरे क्लॉज में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर का संविधान बनने तक अगर जम्मू-कश्मीर सरकार ने किसी मामले में कोई सहमति दी है, तो उसपर भी जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा द्वारा लिया गया फैसला ही अंतिम माना जाएगा। यह इसलिए था क्योंकि जब आर्टिकल 370 को भारत के संविधान में जोड़ा गया था तब जम्मू-कश्मीर का संविधान नहीं बना था लेकिन यह तय हो चुका था कि जम्मू-कश्मीर अपना संविधान बनाएगा और उसके लिए संविधान सभा बनेगी। तीसरे क्लॉज बताया गया है कि आर्टिकल 370 को हटाया कैसे जा सकता है। यह बताता है कि आर्टिकल 370 को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति आदेश जारी करेंगे, तब ही ऐसा हो सकता है।

कहां फंसा था पेंच?

J&K का संविधान 1956 में लागू हुआ और उसके बाद 1957 में वहां की संविधान सभा खत्म हो गई। वो रही ही नहीं, तो फिर अब किसकी सिफारिश पर राष्ट्रपति आदेश निकालें और कैसे इसे खत्म करें, ये बड़ा पेंच था। करीब 60 सालों तक चीजें यहीं अटकी रहीं। हालांकि, यहां अब आर्टिकल 35 (A) का भी जिक्र जरूरी है, 35 (A) को राष्ट्रपति के 1954 के आदेश से लागा गया था, जिसमें उन्होंने यह बताया कि जम्मू-कश्मीर और केंद्र की सरकारें कैसे काम करेंगे। इस आदेश में बाद में समय-समय पर बदलाव होते रहे थे। यह आदेश जम्मू-कश्मीर की सहमति से ही लाया गया था।

19 दिसंबर 2018 का राष्ट्रपति आदेश

अब ये तो साफ हो गया कि आर्टिकल 370 क्या कहता था और इसे कैसे हटाया जा सकता था। अब जानिए कि इसे कैसे हटाया गया है। 19 दिसंबर 2018 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने एक आदेश निकाला। यह आदेश कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर था। इसके साथ ही, इसमें लिखा गया कि "उक्त राज्य के विधानमंडल की शक्तियां संसद द्वारा अथवा उसके प्राधिकार के अधीन प्रयोक्तव्य होंगी।" आसान शब्दों में इसका मतलब है कि जो शक्तियां जम्मू-कश्मीर के विधानमंडल के पास थीं, वह अब संसद के पास रहेंगे।

अब तक क्या समझे?

19 दिसंबर 2018 को जारी हुए राष्ट्रपति के आदेश से जम्मू-कश्मीर के विधानमंडल की शक्तियां संसद के पास आ गईं थी। मतलब, राज्य की कमान पूरी तरह से राष्ट्रपति और संसद के पास आ गई थी। इसके बाद फिर आई 5 अगस्त 2019 और अमित शाह संसद पहुंचे।

5 अगस्त 2019 को क्या हुआ?

5 अगस्त 2019 को स्टैप बाई स्टैप काम किया गया। और, यह पूरा काम ऐसा था कि हर स्टैप पर आगे बढ़ते हुए जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र की शक्तियां बढ़ती चली गईं। सबसे पहले मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस का एक नोटिफिकेशन आया। यह राष्ट्रपति के आदेश का नोटिफिकेश था, जिसमें कहा गया कि अब यह आदेश 1954 के राष्ट्रपति के आदेश को सुपरसीड करेगा। मतलब अब वो नहीं, यह ही आदेश सुप्रीम होगा। इसके साथ ही, आर्टिकल 35 (A) खत्म हो गया। 

इसी आदेश में कहा गया कि भारतीय संविधान के सभी प्रवधान, जो किसी भी समय संशोधित हुए हों, सभी जम्मू-कश्मीर में भी लागू होंगे। इसमें कहा गया कि मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना काम करने पर भी राज्यपाल राज्य को रिप्रिजेंट करेंगे। यानी, जो राज्यपाल कहेंगे, वही राज्य की बात होगी। इसके साथ ही, कहा गया कि आर्टिकल 370 (2) में जो संविधान सभा को जिक्र है, उसे जम्मू-कश्मीर की विधानसभा माना जाएगा। 

इसी आदेश की जानकारी अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा को दी। इसे साथ ही अमित शाह ने रेजोल्यूशन पेश कर दिया, जिसमें कहा गया कि आर्टिकल 370 (3) के तहत दी गई शक्तियों के आधार पर भारत की संसद की सिफारिश से भारत के राष्ट्रपति घोषित करते हैं कि आर्टिकल 370 के सभी हिस्से अब से समाप्त हो जाएंगे, सिर्फ पहला हिस्सा बचेगा।

...और खत्म हो गया आर्टिकल 370

इसके साथ ही आर्टिकल 370 खत्म हो गया, कैसे खत्म हुआ? 5 अगस्त 2019 को पहले राष्ट्रपति के नए आदेश से 1954 के राष्ट्रपति के आदेश को खत्म किया गया। इसी नए आदेश से जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को ही संविधान सभा का दर्जा दे दिया गया। वहीं, 19 दिसंबर 2018 के राष्ट्रपति के आदेश से पहले ही कश्मीर की विधानसभा की सभी शक्तियां संसद के पास आ गईं थी। मतलब और आसान शब्दों में ऐसा मान लीजिए, संसद बराबर जम्मू-कश्मीर की विधानसभा और विधानसभा बराबर संविधान सभा। फिर जब संसद में आर्टिकल 370 को खत्म करने वाला रेजोल्यूशन पास हुआ, तो माना गया कि यह जम्मू-कश्मीर की विधानसभा या संविधान सभा ने की सिफारिश पर ही हुआ है।

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