प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों किसान आंदोलन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं को आंदोलन जीवी क्या कह दिया, हर ओर इसी की चर्चा शुरू हो गई। प्रधानमंत्री पर आंदोलनकारियों को बदनाम करने का आरोप भी लगने लगा। इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बजट सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अपने भाषण में वह तरीका भी बता दिया कि जिससे आप इन 'आंदोलनजीवियों' की पहचान कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है, उनकी एक पहचान है, टॉकिंग द राइट थिंग, यानि हमेशा सही बात बोलना। सही बात कहने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इस वर्ग को ऐसे लोगों से नफरत है जो डूइंग द राइट थिंग पर विश्वास रखते हैं। टॉकिंग द राइट थिंग की वकालत करने वाले जब डूइंग द राइट थिंग की बात आती है तो उसी पर खिलाफ खड़े हो जाते हैं। ये चीजों पर सिर्फ बोलने में विश्वास रखते हैं, अच्छा करने में उनका भरोसा ही नहीं है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि
वन नेशन वन इलेक्शन की बात पर विरोध करने लगते हैं, जेंडर जस्टिंस की बात पर बढ़चढ़ कर बोलते हैं लेकिन ट्रिपल तलाक पर चुप हो जाते हैं। ये पर्यावरण की बात करते हैं लेकिन हाइड्रोपावर और न्यूक्लियर पावर के प्रोजेक्ट पर डंडे लेकर खड़े हो जाते हैं। उसी तरह से जो दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कोर्ट मे अपील करते हैं वही पराली जलाने वालों के समर्थन में खड़े हो जाते हैं। समझ नहीं आता है कि किस प्रकार से देश को गुमराह करने का प्रयास है और उसे देश को समझने की जरूरत है।
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मैं देख रहा हूं, कि 6 साल में विपक्ष के मुद्दे कितने बदल गए, हम जब विपक्ष में थे तो देश के विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार को घेरते थे। लेकिन ये ऐसे मुद्दों की बात ही नहीं करते।