नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में तीसरी बार सरकार बनाकर अपनी उभरती हुई सियासी संभावनाओं का परिचय दिया है। पहली बार 2013 में सरकार बनाई तो अन्ना के आंदोलन का फायदा मिला। दूसरी बार 2015 में सरकार बनाई तो अन्ना के आंदोलन और 2013 की सरकार को साथी दल द्वारा न चलाने देने का आरोप काम आया और अब तीसरी बार सरकार बनाई तो पार्टी ने बीते पांच सालों के कामों को चुनाव प्रचार को आधार बनाया। लेकिन, ये सब कैसे? अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार दिल्ली की जनता का दिल कैसे जीता?
संघर्ष से जीता दिल्ली का दिल
इस बार अरविंद केजरीवाल ने अपने और पार्टी के चुनाव प्रचार को बेहद अग्रेसिव मोड में आगे बढ़ाया। उन्हें मालूम था कि भाजपा पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में है और ऐसे में उन्हें भी अपनी पूरी जान झोंक दी। चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल 30 दिनों तक रोजाना 15 घंटे प्रचार करने लगे। वह सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक लोगों के बीच रहते थे और फिर 11 से 12 बजे तक फीडबैक मीटिंग करते थे। इसके बाद रात को 1 बजे सोते थे। रात एक बजे सोने के बाद वह सुबह 5.30 बजे ही जाग जाते थे और फिर से काम में जुट जाते थे।
कैसे किया चुनाव प्रचार?
- 10 विधानसभा में डोर-टू-डोर कैंपेन किया
- 16 टॉउन हॉल मीटिंग की
- 45 मीडिया इंटरव्यूज दिए
- 36 रोड शो, 20 जनसभाएं कीं
- सभी 70 सीटों पर प्रचार किया
- 25 लाख लोगों से सीधा संवाद किया
- 26 दिसंबर से 7 जनवरी तक मेगा कैंपेन किया
- 70 विधानसभा में 700 नुक्कड़ सभाएं कीं
- 35 लाख घरों तक 5 साल का रिपोर्ट कार्ड पहुंचाया
- AAP के वर्कर दिल्ली के घर-घर तक पहुंचे
- केजरीवाल बनाम 'कौन ?' का मुद्दा उठाया
- केजरीवाल की फ्री स्कीम का जबरदस्त प्रचार किया
क्या मिला परिणाम?
11 फरवरी को आम आदमी पार्टी एक बार फिर से दिल्ली की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के लिए तैयार हो गई। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी को 62 और भाजपा को आठ सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस इस बार भी अपना खाता तक नहीं खोल पाई। इस बार AAP को 53.6 फीसदी वोट मिला है जबकि भाजपा को 38.5 फीसदी और कांग्रेस को सिर्फ 4.26 फीसदी वोट शेयर ही मिला।