हीट सीकिंग रडार, स्नाइफर डॉग और सेंसरस की मदद से पांच जगह को चिन्हित किया गया। ये दायरा करीब 250 मीटर का था। इन पांच लोकेशन में खुदाई का काम शुरू हुआ। बहुत सावधानी के साथ कई घंटो तक खुदाई की गयी और आखिरकार कामयाबी मिलनी शुरू हुई। स्नाइफर डॉग निशा और डॉट ने खुदाई के दौरान हथियार और मानव शरीर की गंध से जवानों की मौजूदगी को पक्का कर दिया।
अब एक के बाद एक जवानों को बाहर निकालने का काम शुरू हुआ इसके साथ ही वहां मौजूद डॉक्टरों की टीम हर एक जवान को चेक कर रही थी। शाम के सात बज चुके थे लेकिन अचानक डॉग डॉट ने भौकना शुरू किया तो जब उस जगह 35 फ़ीट नीचे 2 बड़ी चट्टाननुमा बर्फ के टीलों के बीच से लांस नायक हनमनथप्पा को बाहर निकाला गया। डॉक्टरों समेत पूरी रेस्क्यू टीम ख़ुशी से उछल पड़ी। क्योंकि हनमनथप्पा की साँस चल रही थी। उसे तुरंत ऑक्सीजन दिया गया। इस वक्त रात के 10 बज चुके थे। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल था कि लांस नायक हनमनथप्पा को कैसे बेस कैम्प भेजा जाय।
रात हो चुकी थी और खराब मौसम की वजह से हैलीकॉप्टर से नीचे ले जाना नामुमकिन था। पूरी रात सोनम पोस्ट पर मौजूद 100 से ज्यादा जवान भगवान से अपने साथी की जान बचाने की प्रार्थना कर रहे थे तो डॉक्टर हर मुमकिन कोशिश कर रहे थे कि किसी तरह उसकी सांस चलती रहे। सुबह होने तक के अगले 10 घंटे 10 साल की तरह भारी थे। इस बीच हनमनथप्पा कोमा में चला गया लेकिन साँसे चल रही थी। थोयस कैम्प में हेलिकॉप्टर उड़ने के लिए तैयार था 9 फरवरी की सुबह ठीक 8 बजे हेलिकॉप्टर हनमनथप्पा को सोनम पोस्ट से लेकर नीचे आया और उसके बाद थोयस कैम्प से वायुसेना के सी130 जे विमान से दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल लाया गया।