नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की ममता बनर्जी सरकार की कोशिशों पर केंद्र सरकार ने विराम लगा दिया है। दरअसल, ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलने को लेकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया था, जिसे गृह मंत्रालय ने ठुकरा दिया है। गृह मंत्रालय ने साफ किया कि पश्चिम बंगाल का नाम नहीं बदला जाएगा। बता दें कि ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला रखने का प्रस्ताव पेश किया था।
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार की ओर से बोलते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राज्य के नाम में परिवर्तन के लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होती है। बता दें कि ममता बनर्जी सरकार ने इससे पहले साल 2011 में भी राज्य का नाम बदल कर पश्चिम बंगो रखने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन केंद्र ने तब भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
क्या है किसी राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया?
- राज्य का नाम, सीमा या क्षेत्र बदलने के लिए संबंधित राज्य का विधानमंडल विषय से जुड़ा प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजता है। प्रस्ताव पर राष्ट्रपति का अनुमोदन हासिल करना जरूरी है।
- अनुमोदन के बाद केंद्र सरकार प्रस्ताव पर सम्बंधित राज्य के विधानमंडल को अपना विचार रखने और निश्चित समय सीमा में संसद में प्रस्तुत करने के लिए कहती है।
- इस प्रक्रिया के लिए राष्ट्रपति समय सीमा तय करते हैं और उसी के दौरान विधानमंडल को विधेयक को संसद में भेजना होता है। राष्ट्रपति अगर चाहें तो वह इस समय-सीमा को बढ़ा भी सकते हैं।
- संसद, विधान मंडल द्वारा भेजे गए विधेयक को मानने के लिए बाध्य नहीं है। यदि संसद चाहे तो साधारण बहुमत द्वारा राज्य के विधानमंडल की राय को खारिज कर सकती है।
- राज्य विधानमंडल को विधेयक भेजने का प्रावधान मूल संविधान में नहीं था बल्कि इस प्रक्रिया को 5वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1955 में जोड़ा गया था।