नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के कारण सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त होने के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय 2020 में लगभग पूरे साल लॉकडाउन संबंधी उपायों को कड़ाई से लागू कराने, बाद में आजीविका और आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने तथा पाबंदियों के कारण प्रभावित हुए प्रवासी श्रमिकों जैसे लोगों को राहत प्रदान करने में व्यस्त रहा। इस वर्ष केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से कमान संभाली और जब भी राष्ट्रीय राजधानी में इस महामारी के मामलों में वृद्धि देखी गई, उन्होंने आगे आकर कोरोना वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के वास्ते प्रयास किए।
पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के मद्देनजर राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के साथ उलझ गया था। गृह मंत्रालय ने कई उन राज्यों को मदद प्रदान की, जो चक्रवातों से प्रभावित हुए थे। वहीं, मंत्रालय ने कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं दीं जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकी वित्तपोषण और धनशोधन पर नजर रखने वाले वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की ‘ग्रे’ सूची में बना रहे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाए जाने की घोषणा की थी और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाना गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी बन गई थी। यह अधिनियम केंद्रीय गृह सचिव को कानून के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष के रूप में लॉकडाउन लगाने और फिर से खोलने के लिए सभी आदेश जारी करने का अधिकार देता है।
इसके बाद वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई बार लॉकडाउन के आदेश, दिशा-निर्देश जारी किए गए और लोगों की जरूरतों के अनुसार उन्हें अपनी आजीविका चलाने के मौके भी दिए गए। केन्द्र सरकार द्वारा हालांकि लॉकडाउन लगाए जाने की अचानक घोषणा किए जाने से लाखों प्रवासी श्रमिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा और उन्हें अपने कार्यस्थलों को छोड़कर पैदल चलकर अपने पैतृक स्थानों पर जाना पड़ा।
केंद्र ने तुरंत ही राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ) का उपयोग करने की अनुमति दी, जिसमें अगले वित्तीय वर्ष के लिए 29,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसके तहत लॉकडाउन से प्रभावित प्रवासी श्रमिकों को भोजन और आश्रय प्रदान किया गया। गृह मंत्रालय ने भारतीय रेलवे को प्रवासी श्रमिकों को विभिन्न स्थानों से विभिन्न गंतव्यों तक पहुंचाने के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति दी।
देश में ‘अनलॉक’ प्रक्रिया की शुरुआत एक जून को हुई और क्रमबद्ध तरीके से व्यापारिक, सामाजिक, धार्मिक और अन्य गतिविधियों को फिर से खोला गया। गृह मंत्रालय द्वारा 24 मार्च को लॉकडाउन के उपायों पर पहला आदेश जारी करने के बाद से, लगभग सभी गतिविधियों को धीरे-धीरे निरुद्ध क्षेत्रों के बाहर के इलाकों में खोल दिया गया। फिर, दिल्ली में जून और नवंबर में जब कोविड-19 के मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई तो केन्द्रीय गृह मंत्री ने खुद कमान संभाली और महामारी को नियंत्रित करने के प्रयास किए।
गृह मंत्री ने दोनों मौकों पर प्रतिदिन जांच की संख्या बढ़ाने, अस्पताल में बिस्तरों, आईसीयू की संख्या बढ़ाने और अस्थायी अस्पताल तथा कोविड देखभाल केन्द्र बनाने जैसे कई कदम उठाकर स्थिति को संभाला। शाह द्वारा गठित एक समिति ने जांच, निजी अस्पतालों में बिस्तरों, आईसीयू और पृथक बिस्तरों की दरें भी तय कीं।
भाजपा अध्यक्ष की नौ से दस दिसंबर तक पश्चिम बंगाल की यात्रा के दौरान उनके काफिले पर हुए हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की राज्य सरकार के साथ तीखी झड़प भी हो गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले तो राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर चर्चा करने के वास्ते दिल्ली बुलाया लेकिन इन अधिकारियों ने आने से मना कर दिया।
इसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य की स्थिति पर एक रिपोर्ट दी और गृह मंत्रालय ने तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला लिया। गृह मंत्रालय ने कहा कि नड्डा की यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी इन तीन पुलिस अधिकारियों पर थी। हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने तीनों अधिकारियों को कार्यमुक्त करने से इनकार कर दिया।
इसके बाद गृह मंत्रालय ने फिर से राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को बैठक के लिए बुलाया। इन दोनों अधिकारियों ने फिर कहा कि वे दिल्ली की यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में भाग लेने की पेशकश की। इसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बैठक हुई।
वर्ष 2020 में देश को कम से कम सात राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में चार प्रमुख चक्रवातों ‘अम्फान’, ‘निसर्ग’, ‘निवार’ और ‘बुरेवी’ का सामना करना पड़ा। इस दौरान लोगों को बचाने, राहत सामग्री और धनराशि के जरिये मदद करने में गृह मंत्रालय सबसे आगे था।
वर्ष के शुरू में केंद्र सरकार ने असम के खतरनाक उग्रवादी समूहों में से एक एनडीएफबी के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस त्रिपक्षीय समझौते पर केन्द्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और अन्य की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
गृह मंत्री ने समझौते को ‘‘ऐतिहासिक’’ बताते हुए कहा था कि यह बोडो की दशकों पुरानी समस्याओं का स्थायी समाधान करेगा।