अमेरिका में हर साल की तरह आज़ादी की सालगिरह पर फेस्टिवल ऑफ ग्लोब (FOG) में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम में आज़ादी की परेड का भी आयोजन होता है जिसमें कई प्रमुख हस्तियां शामिल होती हैं। इस बार फेस्टिवल ऑफ ग्लोब में ‘आज़ादी का इतिहास गीत’ गूंजेगा। इस गीत के रचनाकार हैं शकील अख्तर। अप्रवासी भारतीय हस्तियां इस गीत को गाकर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के प्रति अपनी श्रदाजंलि अर्पित करेंगी ।
ले तिरंगा हाथों में
जय भारत मां हम गाते हैं
भारत के शहीदों की
गाथा अमर सुनाते हैं ...
आज़ादी की नई दुनिया में मिलकर कदम बढ़ाते
हैं
..
वंदे मातरम् ..वंदे मातरम् ..
लेखक और पत्रकार शकील अख़्तर के लिखे आज़ादी के इस गीत की गूंज 15 अगस्त के दिन अमेरिका में सुनाई देगी। कैलिफोर्निया के 'फॉग आयडल' कार्यक्रम में इस गीत को गाया जायेगा। हर साल की तरह आज़ादी की सालगिरह पर फेस्टिवल ऑफ ग्लोब (FOG) ने यह कार्यक्रम आयोजित किया है। इस कार्यक्रम में आज़ादी की परेड का भी आयोजन होता है जिसमें कई प्रमुख हस्तियां शामिल होती हैं।
आज़ादी गीत की इस प्रस्तुति में खुद FOG के संस्थापक डॉ.रोमेश जापरा समेत संस्था के सभी प्रमुख सदस्य शामिल होंगे। इनमें FOG आयडल की चेयर पर्सन अनीता करवल और अलका भटनागर, फॉग मूवी फेस्ट की कोऑर्डनिटेर लक्ष्मी अय्यर, फॉग एक्जीक्युटिव डायेरक्टर विद्या सेतुरमण और FOG की मीडिया प्रभारी रितु माहेश्वरी भी मंच पर इस गीत को गाती नज़र आएंगी। FOG आइडल के दौरान गायन प्रतियोगिता भी होती है।
इस प्रतियोगिता की जज फिल्म निर्माता रानु सिन्हा और संगीतकार शुभा गुनापु, गायक वरूण तिवारी, अलका भटनागर और संगीत कलाकार सम्राट चक्रवर्ती भी इस गीत को आवाज़ देकर शहीदों को याद करेंगे।
FOG आइडल कार्यक्रम की चेयर पर्सन अनिता करवल ने आज़ादी गीत को बेहद प्रेरणापूर्ण और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि बताया है। उन्होंने FOG की तरफ से शकील अख़्तर के लेखकीय कृतित्व की तारीफ की है। वहीं डॉ.रानु ने कहा है कि नई पीढ़ी को देश की आज़ादी की गाथा से परिचित कराने की दिशा में एक रचनाकार के रूप में शकील का यह सराहनीय काम है।
शकील अख्तर का कहना है कि इस गीत की रचना उन्होंने 1998 में की थी। इन दिनों देश के प्रमुख न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी से सम्बद्ध शकील अख़्तर उन दिनों नई दुनिया के एक टेलीविज़न कार्यक्रम के लिये इस गीत की रचना की थी। शकील के मुताबिक, नई दुनिया की लाइब्रेरी में आज़ादी की नज़्मे और आज़ादी का इतिहास के अध्य्यन के दौरान उन्हें इस गीत का विचार आया था।
इस गीत की धुन दिलीप बोस ने बनाई है और इसमें इंदौर के ही गायकों प्रकाश पारनेकर, दिलीप बोस जैसे गायकों ने मुख्य रूप से आवाज़ दी है। पीटर जमरा के साउंड स्टुडियो में यह गीत रिकॉर्ड हुआ था। शकील इस गीत को एक बार फिर री प्रोड्यूस किये जाने की मंशा रखते हैं।
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