नयी दिल्ली: भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि किसी भी देश का इतिहास उसके बारे में विदेशी विवरण पर आधारित नहीं हो सकता और भारत के लोगों के लिए समय आ गया है कि वे पौराणिक सूत्रों को गंभीरता से लें तथा भारतीयों द्वारा लिखे गए भारत के इतिहास को आत्मसात करें। उनके मुताबिक ‘हेरफेर’ रहित इतिहास में यह दर्ज होगा कि “हिंदुस्तान शासन की कला में, राज दरबारों की शैली में, युद्ध के तरीकों में, अपने कृषि आधार के रखरखाव में, और सूचना के प्रसार में वैचारिक रूप से एक था।” उन्होंने कहा कि यह “स्व-शासन में गांवों की स्वायत्तता के लिए विकेंद्रीकृत था” और पंचायत व्यवस्था इसी की अभिव्यक्ति है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि किसी भी देश का इतिहास उस देश के बारे में विदेशियों के विवरण पर आधारित नहीं हो सकता। उन्होंने अपनी नई किताब “अयोध्या राम टेंपल एंड हिंदू रेनेसां” में लिखा है, “हमारे लिए पौराणिक स्रोतों को गंभीरता से लेने और प्राचीन भारत के स्थापित और हेर-फेर से परे रहे इतिहास को आत्मसात करने का समय आ गया है, भारत के बारे में भारतीयों द्वारा लिखा गया इतिहास।”
स्वामी ने कहा, “ऐसा पुनर्लिखित इतिहास किसी भी राष्ट्र की अद्भुत निरंतरता को सामने लाएगा, जिसे देश युद्ध और राजनीतिक संकटों के समय बार-बार अपनी पहचान के तौर पर पेश करता है।” इस किताब के सह लेखक सत्यपाल सभरवाल हैं। वह स्वामी के विधिक दल के सदस्य हैं। किताब का प्रकाशन हर आनंद पब्लिकेशनंस द्वारा किया गया है और यह अयोध्या में राम मंदिर के पुनर्निर्माण पर केंद्रित है।