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1962 में पहली बार राज्यसभा से निलंबित किए गए थे सांसद, इस बार 11वीं बार दोहराया गया इतिहास

विपक्ष द्वारा राज्य सभा में कृषि विधेयकों को लेकर किए गए जोरदार हंगामे और दूर्व्यवहार के कारण विपक्ष के आठ सदस्यों को सत्र के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया। लेकिन आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं हुआ है कि सदस्यों को निलंबित किया गया हो ऐसे इससे पहले भी कई बार किया जा चुका है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : September 21, 2020 21:21 IST
Historical instances whan Rajya Sabha suspends MPs
Image Source : PTI Historical instances whan Rajya Sabha suspends MPs

नई दिल्ली: विपक्ष द्वारा राज्य सभा में कृषि विधेयकों को लेकर किए गए जोरदार हंगामे और दूर्व्यवहार के कारण विपक्ष के आठ सदस्यों को सत्र के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया। लेकिन आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं हुआ है कि सदस्यों को निलंबित किया गया हो ऐसे इससे पहले भी कई बार किया जा चुका है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ व्यवहार पर कहा कि कुछ विपक्षी सदस्यों का आचरण दुखद, अस्वीकार्य और निंदनीय है। नायडू ने कहा कि सदस्यों ने कोविड-19 संबंधी सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि सदस्यों ने उपसभापति हरिवंश के साथ अमर्यादित आचरण किया।

राज्य सभा से निलंबन का रिकॉर्ड 

  • सबसे पहले 1962 में पहली बार गोडे मुरहरि को निलंबित किया गया था। 
  • राज्य सभा से निलंबन के मामले में राजनारायण सबसे आगे रहे हैं। वे राज्यसभा से चार बार 1966, 1967, 1971 और 1974 में निलंबित हुए थे। 
  • महिला आरक्षण बिल के विरोध में यूपीए ने 2010 में सात सांसदों को निलंबित किया था।
  • दूसरे नंबर पर रिकॉर्ड गोडे मुरहरि का है। वे राज्य सभा से सस्पेंड होने वाले पहले सांसद थे। वे कुल तीन बार निलंबित हुए। वे 1962 में एक बार और 1966 में दो बार निलंबित हुए। खास बात ये है कि बाद में वे राज्य सभा के उपसभापति भी चुने गए।

Historical instances whan Rajya Sabha suspends MPs

Image Source : INDIATV
Historical instances whan Rajya Sabha suspends MPs

इसबार इन सांसदों पर हुई कार्रवाई

ये सांसद शामिल- जिन सांसदों पर कार्रवाई हुई है, उनमें डेरेक ओ ब्रायन(तृणमूल कांग्रेस), संजय सिंह(आप), रिपुन बोरा(कांग्रेस), नजीर हुसैन (कांग्रेस), केके रागेश(सीपीएम), ए करीम (कांग्रेस), राजीव साटव (कांग्रेस) और डोला सेन(तृणमूल) शामिल है।

कृषि विधेयकों को लेकर राज्यसभा में विपक्ष ने व्यवहार को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह संसद के लिए एक शर्मनाक दिन था। माइक टूट गया, तार टूट गया, नियम पुस्तिका फाड़ दी गई। अगर मार्शल नहीं आते तो उपसभापति पर शारीरिक हमला भी हो सकता था। प्रसाद ने कहा कि अगर उनको वोट देना था तो उनको सीट पर जाना चाहिए था। 13 बार उपसभापति ने सांसदों को वापस सीट पर जाने के लिए अनुरोध किया था। 

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पहले कभी ऐसी हरकत नहीं देखी। वहीं नियम 256 के खंड तीन में किसी सदस्य को निलंबित करने को लेकर कहा गया है कि कोई बहस नहीं होगी और सांसद को सदन से बाहर सदन के नियमों के अनुसार जाना होगा। मर्यादा के नियमों का पालन नहीं करते और वे लोकतंत्र की बात करते हैं। राज्यसभा में हमारे पास स्पष्ट बहुमत था। 110 सांसद हमारे साथ थे. वहीं 72 विरोध में थे।

 

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