Friday, November 01, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. बाली में हिंदुत्व की कहानी India TV रिपोर्टर की जुबानी!

बाली में हिंदुत्व की कहानी India TV रिपोर्टर की जुबानी!

नई दिल्ली: बुरी तरह खाली हूँ। सो बुरी तरह लिख रहा हूँ। इंडोनेशिया के बाली में हिंदुत्व। दंग हूँ। बुरी तरह दंग हूँ। बाली में हिंदुत्व का ये उभार देखकर। "ॐ स्वस्ति अस्तु।" ये बाली

Abhishek Upadhyay
Updated on: November 10, 2015 12:38 IST

एक रोज़ बाली पुलिस स्टेशन से ठीक पहले एक घर में गज़ब की सजावट दिखी। महेश ने कार रुकवायी। यहां शादी हो रही थी। हिन्दू रीति-रिवाजों में रची बसी। हम अजनबियों की तरह घर के दरवाजे पर खड़े थे। जब काफी देर तक ये समझ नही आया कि भीतर कैसे जाएँ तो मैं दरवाजे पर बैठी एक ताई के पैरों पर गिर गया। 'ॐ स्वस्ति अस्तु।' ताई ज़ोरों से मुस्कुराईं। पलटकर बोलीं,- 'ॐ स्वस्ति अस्तु। हाथ पकड़कर उठाया और सीधा लेकर घर में दाखिल हो गयीं। कोई सवाल नही। कोई जवाब नही। कोई कौतूहल भी नही। सुबह सुबह उषाकाल में विवाह सम्पन्न हुआ था। सामने रखी टीवी स्क्रीन पर सुबह संपन्न हुई विवाह की रस्मो की फ़िल्म चल रही थी। वैसे ही पुरोहित। वैसे ही वेद मन्त्र। वैसा ही आचमन। वैसी ही प्रदिक्षणा। वैसा ही हवन कुण्ड। वैसी ही आहुतियां। पूर्णाहुति और विसर्जन भी एकदम वही।

घर में पुरखों का बनाया शिव मन्दिर। अक्षत। पुष्प। पल्लव और काष्ठ की निर्जन उपत्यकाओं से घिरा हुआ घर। घर कहूं? या मन्दिर? दुल्हन। हल्दी, कुमकुम, बिंदी, रोली और काजल में गुंथी हुई। अक्षय इत्र की खुशबू से महकी महकी। एक बार तो लगा कोलकाता में हूँ। कि ये दुल्हन अभी उठेगी और 'बोऊ भात' परोसना शुरू कर देगी। घी से लथपथ भात। थोड़ी पीली दाल। वो अलग से। हाँ। मेरी फरमाइश। उफ़! और जीने को क्या चाहिए। दूल्हा बेहद ही विनम्र। घुटनो से मोड़कर पहनी पीली धोती। पूनम के शुभ्र आकाश सा दमकता कुर्ता। मोर लगी पगड़ी। लम्बा अंगरखा। रेशम सा महीन बंद गले का सुनहरा कोट। हम कुछ ही देर में इस घर के हो चले थे।

बाली में ऐसे घरों को देखने की अब आदत सी हो गयी है। हंडारा ब्रिज से गुज़रते हुए एक विशालकाय अनिर्मित प्रतिमा दिखी। इससे पहले हम कुछ पूंछते। ड्राइवर बोल उठा-- This is 'Jataayu'. When completed, it will be bigger than statue of liberty. मैंने ड्राइवर की आँखों से देखा। गर्व झांक रहा था। अपनी बरौनियों से इतिहास को उठाये हुए। हाँ। गर्व की भी अपनी बरौनियां होती हैं। भारत में कहां ज़िंदा हैं 'जटायु?' कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक? मेरी नज़रें न जाने क्या तलाशने लगीं। शून्य में कुछ उड़ता सा नज़र आ रहा था। न जाने क्या? बाली का 'पांडव बीच' तो नही? कुंती। कर्ण। भीम। अर्जुन। सभी की आदमकद प्रतिमायें। क्या कोई ऋण बाकी है हिन्दुस्तान का? क्या कभी सभ्यता की कोई निशानी यहीं छोड़कर भूल गए हम? और फिर मुड़कर भी नही देखा।

बाली के बीस हज़ार से भी अधिक पुरा (मन्दिर) से उठने वाली मन्त्र ध्वनि अतीत के पन्नों पर वज्रपात कर रही है। चारों ओर से गरजते समन्दर में क्या क्या खोया है? क्या क्या घुला है? कहाँ तलाशूं? कितना तलाशूं? बौद्ध कालीन सभ्यता की साँसे रह रहकर सीने से टकरा जाती हैं। भीतर कुछ पहचाना हुआ सा है क्या? हिन्दुस्तान लौटने का वक़्त नज़दीक है। पर अब भी नही मालूम। कितना हिन्दुस्तान जाऊँगा। और कितना यहीं रह जाऊँगा। इस जाने और रह जाने के बीच जो कुछ बचा रह जाएगा। शायद वही नियति होगी ! मेरी अपनी नियति !

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement