राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत ही दुनिया को राह दिखा सकता है। देशवासियों को इसके लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। उत्तर प्रदेश के मेरठ में रविवार 25 फरवरी को संघ के इतिहास का सबसे बड़ा कार्यकर्ता एकत्रीकरण हुआ। इस एकत्रीकरण में करीब 3 लाख स्वयंसेवक शामिल हुए। ‘राष्ट्रोदय महासमागम’ नाम के इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे सरसंघचालक मोहन भागवत ने साफ कहा कि छल कपट के बावजूद भी हम सभी को राष्ट्र के लिए एक होना होगा।....राष्ट्र के उदय और अस्त दुनिया में होते रहते हैं। हमेशा उदय देखने को सूर्य की ओर पृथ्वी को अपना मुख करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र स्थिर है, राष्ट्र के उदय और अस्त का प्रश्न नहीं है। हमने तो हमेशा से ही अध्यात्म का अनुशीलन किया है। उन्होंने कहा कि देश में एकता के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। इसको लेकर षड्यंत्र होते रहे हैं, लेकिन हमें एकजुट होना है। उन्होंने कहा, ‘‘कट्टर हिंदुत्व यानी कट्टर अहिंसा। कट्टरता, उदारता के लिए है। दुनिया भी अच्छी बातों को तभी मानती है, जब उसके पीछे कोई शक्ति खड़ी हो।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया में कई सम्प्रदाय है, लेकिन वे एक नहीं है। हिन्दू एक है, गर्व से कहो कि हम हिन्दू हैं। हिन्दुओं को एक होना हमारा धर्म है। भारत सम्पूर्ण विश्व को सुख दे सकता है। संपूर्ण समाज एकजुट हो। उन्होंने कहा कि राज्य चलाने के लिए भगवान राम ने अपने घर परिवार को त्याग दिया लेकिन प्रजा की सेवा की। क्या कमाया यह नहीं देखते, क्या बांटा यह देखते हैं। विविधता में एकता एक पंथ, संप्रदाय के मूल्य नहीं हैं। सभी संप्रदाय के समान मूल्य हैं। दर्शन अलग-अलग हैं।
उन्होंने कहा कि मनुष्य दुर्बलों की रक्षा करता है। विद्या का उपयोग दुर्जन विवाद के लिए करता है। धन में मदमस्त होकर अन्याय करता है। मनुष्य विद्या का उपयोग अपना एवं लोगों का ज्ञान बढ़ाने में करता है। भागवत ने कहा कि आदर्श के लिए संस्कार देने पड़ते हैं। जो स्वयं के गौरव को नहीं जानता वह उन्नति नहीं कर सकता है। संपूर्ण दुनिया को समय समय पर धर्म देने वाला हमारा देश है। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को केवल भारत मानता है।....हमारे झगड़ों की आग पर सारी दुनिया अपने स्वार्थों की रोटी सेंकती है। उन्होंने कहा कि भाषण नहीं आदत काम करती हैं। संकट के मुहाने पर अच्छा आचरण कोई भी करता है। बातें करना आसान है प्रत्यक्ष काम के लिए सामूहिकता चाहिए।....संकट के समय देशहित में अपनी सेवाएं और आवश्यकता पर अपने प्राण देने के लिए स्वयंसेवक पहले पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि संघ समरसता एकता की साधना है। संपूर्ण समाज को स्वयंसेवक बनना होगा। हितैषी के बजाय सहयोगी बनिये। जूना अखाड़े के अध्यक्ष स्वामी अवदेशानंद महाराज ने कहा कि अगर हम संघ के साथ है तो हमें कोई तोड़ नहीं सकता। ऐसे में कोई संकट भी आए तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हमको तो अपने परिवार और अपनी संस्कृति को बचाना है। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डा. महेश शर्मा, जनरल वीके सिंह, डा. सत्यपाल सिंह और प्रदेश सरकार के मंत्री चेतन चौहान, धर्म सिंह सैनी मौजूद थे।