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कोर्ट ने बच्चों के भीख मांगने के खिलाफ दर्ज जनहित याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि छोटे बच्चों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया जाता है और घायल किया जाता है ताकि ‘लोगों की अधिकतम सहानुभूति प्राप्त की जा सके।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 13, 2021 15:47 IST
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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों के भीख मांगने के उन्मूलन को लेकर दायर PIL पर आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र से शुक्रवार को जवाब मांगा।

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों के भीख मांगने के उन्मूलन को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार और केंद्र से शुक्रवार को जवाब मांगा। चीफ जस्टिस डी. एन. पटेल और जस्टिस अमित बंसल ने अजय गौतम की याचिका पर नोटिस जारी किए। गौतम ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि शहर के हर हिस्से में भिखारियों की मौजूदगी के बावजूद अधिकारियों ने इस बुराई को खत्म करने के लिए कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए। पीठ ने केन्द्र और दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा है।

‘अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया’

गौतम ने इस याचिका में भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए और उन लोगों को गिरफ्तार करने का भी अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया है जो ‘बच्चों, किशोरियों और छोटे बच्चों का उपयोग करने वाली महिलाओं को भीख मांगने और अपराध में धकेल रहे हैं’ और युवा लड़कियों का शोषण कर रहे हैं। गौतम ने आरोप लगाया कि शहर के हर हिस्से में भिखारियों की मौजूदगी के बावजूद अधिकारियों ने इस बुराई को खत्म करने के लिए कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए।

‘बुराई के पीछे भीख माफिया सक्रिय’
याचिका में कहा गया, ‘हर कोई जानता है कि बच्चों द्वारा भीख मांगने की इस बुराई के पीछे भीख माफिया सक्रिय हैं और दरअसल भीख मंगवाने के लिए मासूम बच्चों का अपहरण, उनको प्रशिक्षण देते हैं, मजबूर करते हैं और उनपर अत्याचार करते हैं।’ याचिका में कहा गया कि छोटे बच्चों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया जाता है और घायल किया जाता है ताकि ‘लोगों की अधिकतम सहानुभूति प्राप्त की जा सके। सर्दियों के मौसम में यह आमतौर पर देखा जाता है कि लड़कियां बिना कपड़ों के गोदी में बच्चों को लिए रहती हैं ताकि ज्यादा सहानुभूति मिले।’

‘छोटे बच्चों को नशीली चीजें दी जाती हैं’
इसमें कहा गया है, ‘यहां यह उल्लेख करना भी संदर्भ से बाहर नहीं है कि कई मामलों में ये माफिया गिरोह और लड़कियां लोगों की सहानुभूति पाने के लिए जानबूझकर छोटे बच्चों को नशीली चीजें देती हैं जहां 9 से 12 महीने तक के बच्चों के जीवन को खतरे में डाला जाता है।’ याचिका में तर्क दिया गया है कि भारत का संविधान राज्य को बच्चों के विकास के लिए सर्वोत्तम अवसर प्रदान करने के प्रयास करने और यह सुनिश्चित करने का आदेश देता है कि उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं हो। मामले में अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी।

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