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चालान पर देशभर में सियासी घमासान, बंगाल-महाराष्ट्र-गुजरात में जुर्माने पर 'डिस्काउंट'

समझ लीजिए देश दो हिस्सों में बंट गया है। एक है दिल्ली, जहां लोग पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं देने पर जुर्माना 10000 दे रहे हैं और दूसरा है गुजरात, जहां पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं देने पर जुर्माना 3000 दे रहे हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : September 12, 2019 10:56 IST
चालान पर देशभर में सियासी घमासान, बंगाल-महाराष्ट्र-गुजरात में जुर्माने पर 'डिस्काउंट'
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE चालान पर देशभर में सियासी घमासान, बंगाल-महाराष्ट्र-गुजरात में जुर्माने पर 'डिस्काउंट'

नई दिल्ली: नए मोटर व्हीकल एक्ट में भारी-भरकम जुर्माने को लेकर पूरे देश में हंगामा बरपा हुआ है। कानून तोड़ने वालों की जेब पर कानून के डंडे का ऐसा असर दिख रहा है कि अपने वोटर के बचाव में नेता भी आगे आ गए हैं। गुजरात में तो जुर्माने की रकम में 80 से 90 फीसदी की रियायत भी दे दी गई है। अब उत्तराखंड में भी चालान पर 50 परसेंट तक के डिस्काउंट का ऐलान किया गया है। महाराष्ट्र में चुनाव करीब है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार भी नए कानून को लागू करने से कतरा रही है। 

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ये तो हुई बीजेपी शासित राज्यों की बात, कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल तो खुलकर नए कानून के विरोध में उतर आए हैं। लोग इतना ज्यादा जुर्माना भरने को तैयार नहीं हैं इसलिए कई राज्यों की सरकार इसे लागू करने से कतरा रही है। लोग अब यही सोचकर सड़क पर निकलते हैं कि अगर पकड़े गए तो चालान का पैसा कहां से लाएंगे। घर के बजट का एक हिस्सा अब चालान के नाम हो गया है।

लोगों में नए ट्रैफिक कानून को लेकर गुस्सा है और लोगों के इसी गुस्से को देखकर कई राज्यों की सरकारें भी डर गईं हैं। इसकी वजह से गुजरात सरकार ने चालान के हर रकम को अस्सी से नब्बे फीसदी तक कम कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने भी अब तक ट्रैफिक के नए कानून को लागू नहीं किया है। वहीं कर्नाटक सरकार ने भी ट्रैफिक रूल में गुजरात मॉडल फॉलो करने की बात कह रही है।

उत्तराखंड सरकार ने भी मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव कर जुर्माना 50% कर दिया है तो बंगाल में ममता बनर्जी ने नए कानून को लागू करने से इंकार कर दिया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार भी नए नियम को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। बंगाल, राजस्थान और मध्य प्रदेश को छोड़ दीजिए, यहां तो कांग्रेस और दीदी का राज चलता है, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारें भी कह रही है ये तो लोगों के शरीर पर कोड़े की तरह है।

विरोधियों को इसी का तो इंतजार था। राजस्थान और बंगाल की सरकारें बोल रहीं हैं कि हमसे तो नहीं पूछा कानून बनाने वालों ने कम से कम अपनी सरकार से तो पूछ लिया होता। कुल मिलाकर ये तो तय है कि एक देश में दो नहीं, कई तरह के ट्रैफिक के नियम होने वाले हैं। बंगाल में अलग, गुजरात में अलग और राजस्थान में अलग। 

नितिन गडकरी ने जो सोचकर किया था, वो इस देश की सियासत सोचना नहीं चाहती। बीजेपी शासित राज्यों ने नए नियम का विरोध करके विपक्ष को बोलने का मौका दे दिया है। समझ लीजिए देश दो हिस्सों में बंट गया है। एक है दिल्ली, जहां लोग पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं देने पर जुर्माना 10000 दे रहे हैं और दूसरा है गुजरात, जहां पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं देने पर जुर्माना 3000 दे रहे हैं।

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