नई दिल्ली: दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पिछले 24 घंटों में भारी मात्रा में पराली जलाए जाने से राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता गिरकर खतरे के स्तर पर पहुंच गई है। अधिकारियों ने बताया कि 10 इलाकों में प्रदूषण का स्तर बहुत गंभीर दर्ज किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 367 दर्ज किया गया जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
एक्यूआई का स्तर 0 से 50 के बीच ‘अच्छा’ माना जाता है। 51 से 100 के बीच यह ‘संतोषजनक’ स्तर पर होता है और 101 से 200 के बीच इसे ‘मध्यम’ श्रेणी में रखा जाता है। हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘अत्यंत गंभीर’ स्तर पर माना जाता है। पराली जलाए जाने के कारण हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की मात्रा बढ़ गई है। पीएम 2.5 का स्तर 217 दर्ज किया गया जो इस मौसम में अभी तक सबसे ज्यादा है। पीएम 10 के मुकाबले पीएम 2.5 स्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरनाक माना जाता है। सीपीसीबी के आकंड़ों के मुताबिक दिल्ली में पीएम 10 का स्तर 347 दर्ज किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में गाजियाबाद में प्रदूषण का बेहद गंभीर स्तर दर्ज किया गया जबकि फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई। दिल्ली के 10 इलाकों में प्रदूषण का स्तर गंभीर दर्ज किया गया। ये इलाके आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, सीआरआरआई मथुरा रोड, डीटीयू, जहांगीरपुरी, मुंडका, नरेला, पंजाबी बाग और रोहिणी हैं।
केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एवं शोध प्रणाली (सफर) के मुताबिक कल और परसों प्रदूषण तेजी से बढ़ सकता है और फिर कम हो सकता है। सफर ने कहा, “वायु गुणवत्ता सूचकांक अगले तीन दिनों तक बहुत खराब के ऊपरी स्तर तक जा सकता है। इसका मुख्य कारण पिछले 24 घंटे में अत्याधिक पराली जलाने और स्थानीय हवा की धीमी गति है।” भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के मुताबिक उपग्रहीय तस्वीरों में दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में भारी मात्रा में पराली जलती हुई दिख रही है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता के ‘बेहद खराब’ स्तर पर पुहंचने पर 113 उद्योगों को बंद करने का निर्देश
दिल्ली में वायु गुणवत्ता के गिरते स्तर के मद्देनजर अधिकारियों ने पाइप प्राकृतिक गैस (पीएनजी) को नहीं अपनाने पर 113 उद्योगों को बंद करने का निर्देश दिया है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि इन 113 उद्योगों में से 67 बवाना और नरेला उद्योग क्षेत्र में स्थित हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 348 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी दर्शाता है। उपराज्यपाल अनिल बैजल के नेतृत्व में की गई बैठक में अधिकारियों ने एलजी को बताया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ 1368 कारण बताओ नोटिस और 417 को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं।
उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘पीएनजी ना अपनाने वाले 113 उद्योगों को बंद करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।’’ एलजी ने बढ़ते वायु प्रदूषण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पर्यावरणीय मार्शल की अधिक तैनाती का निर्देश भी दिया है।