श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में LoC के पास भारतीय सेना के कैंप अक्सर हिमस्खलन का शिकार होते रहे हैं। सियाचिन के बाद सबसे ज्यादा सैनिक एलओसी के पास हुए प्राकृतिक हादसे का शिकार हुए हैं। इसी साल जनवरी में सेना के एक अधिकारी समेत 10 सैनिक हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। गांदरबल के सोनमर्ग इलाके में एक सैन्य शिविर हिमस्खलन की चपेट में आ गया था। वहीं इस साल भारी बर्फबारी के बीच घाटी के गुरेज और नौगाम सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास से पांच सैनिक लापता हो गए। एक सैन्य अधिकारी ने आज यह जानकारी दी। घाटी में भारी बर्फबारी और बारिश हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक राज्य में पश्चिमी विक्षोभ के प्रभावों के कारण मौसम की यह स्थिति बृहस्पतिवार तक बदस्तूर जारी रहेगी।
सैन्य प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया, “नौगाम सेक्टर (कुपवाड़ा जिला) में दो सैनिक ढलान से नीचे गिर गिए जबकि अन्य तीन भारी बर्फबारी के दौरान गुरेज (बांदीपुरा जिला) की कंजालवान सब-सेक्टर की अग्रिम चौकी से लापता हो गए।” उन्होंने बताया कि लापता सैनिकों का पता लगाने के लिए खोज और बचाव अभियान जारी है। इससे पहले पुलिस के एक अधिकारी ने बताया था कि गुरेज सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास बक्तूर सैन्य चौकी के हिमस्खलन की चपेट में आ जाने के बाद तीन सैनिक लापता हो गए थे। गुरेज सेक्टर के तुलैल में हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद कल से ही सेना का एक पोर्टर लापता है।
कश्मीर को देश के अन्य हिस्सों से सभी मौसम में जोड़ने वाला करीब 300 किलोमीटर लंबा एकमात्र राजमार्ग जवाहर सुरंग समेत कई स्थानों पर लगातार भारी बारिश एवं बर्फबारी और पंथाल के निकट पथराव की घटनाओं के कारण बंद कर दिया गया। दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले से पुंछ और राजौरी जिलों को जोड़ने वाली मुगल रोड को भी पीर की गली में भारी बर्फबारी के बाद बंद कर दिया गया।