Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. हरियाणा: मिर्चपुर दलित कांड में 3 को उम्रकैद, 256 परिवारों का हुआ था पलायन

हरियाणा: मिर्चपुर दलित कांड में 3 को उम्रकैद, 256 परिवारों का हुआ था पलायन

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हरियाणा के हिसार जिले में 2010 में दलित हत्या मामले में 15 दोषियों द्वारा निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी।

Edited by: India TV News Desk
Published : August 24, 2018 14:27 IST
हरियाणा, मिर्चपुर दलित कांड, उच्च न्यायालय
हरियाणा: मिर्चपुर दलित कांड में 3 को उम्रकैद, 256 परिवारों का हुआ था पलायन

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने हरियाणा के मिर्चपुर गांव में 70 वर्षीय एक बजुर्ग दलित एवं उनकी दिव्यांग बेटी की जिंदा जलाकर हत्या किए जाने के मामले में दबंग जाट समुदाय से संबद्ध 15 व्यक्तियों की दोषसिद्धि एवं सजा के खिलाफ उनकी अपील आज खारिज कर दी। वर्ष 2010 में हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में जाट समुदाय से संबद्ध दबंगों ने एक बुजुर्ग दलित एवं उनकी दिव्यांग बेटी के घर में आग लगा दी थी। 

Related Stories

 71 साल बाद भी दलितों पर अत्याचार में कोई कमी नहीं

न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर एवं न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने कहा कि आजादी के 71 साल बाद भी अनुसूचित जाति समुदाय पर अत्याचार में कमी के कोई संकेत नहीं दिखते हैं। अदालत ने हरियाणा सरकार को दलित समुदाय से संबद्ध उन परिवारों के पुनर्वास का निर्देश दिया, जो वर्ष 2010 की इस घटना के बाद विस्थापित हो गये थे। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत से इन 15 व्यक्तियों की दोषसिद्धी तथा सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील पर यह फैसला सुनाया। 

2 को जलाया गया जिंदा, 254 दलित परिवारों का हुआ पलायन

पीड़ितों एवं पुलिस ने भी उच्च न्यायालय में दोषियों की सजा बढ़ाने की मांग की थी एवं अन्य को बरी किए जाने को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने 24 सितंबर, 2011 को जाट समुदाय से संबद्ध 97 व्यक्तियों में से 15 को दोषी ठहराया था। गांव के जाट एवं दलित समुदाय के बीच विवाद के बाद 21 अप्रैल, 2010 को तारा चंद के घर को आग लगा दी गयी थी। घटना में पिता-पुत्री की जल कर मौत हो गयी थी। घटना के चलते मिर्चपुर गांव के 254 दलित परिवारों को गांव से पलायन करना पड़ा था। 

31 अक्तूबर, 2011 को तीन को सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा

निचली अदालत ने 31 अक्तूबर, 2011 को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैरइरादतन हत्या के अपराध के लिए कुलविंदर, धरमबीर और रामफल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा पांच अन्य बलजीत, करमवीर, करमपाल, धरमबीर और बोबल को दंगा फैलाने, जानबूझकर नुकसान पहुंचाने, हानि पहुंचाने और पीड़ितों के घर को आग के हवाले करने तथा अजा/अजजा (अत्याचार रोकथाम) कानून के प्रावधानों समेत उनके अपराधों के लिए पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। सात अन्य को हल्के दंड प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया था। निचली अदालत ने उन्हें परिवीक्षा पर रिहा कर दिया था। इससे पहले निचली अदालत ने मामले में 97 आरोपियों में से 82 को बरी कर दिया था। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement
detail