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हाथरस मामला: यूपी सरकार का हलफनामा-'सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो'

हाथरस मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया और कहा कि पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो, वहीं DM द्वारा आधी रात में शव को जलाए जाने पर यूपी सरकार की तरफ़ से कहा गया है कि असाधारण परिस्थितियों और ग़ैर क़ानूनी घटनाओं के चलते ज़िला प्रशासन को ये फ़ैसला लेना पड़ा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 06, 2020 11:57 IST
hathras case- India TV Hindi
Image Source : FILE हाथरस मामला: यूपी सरकार का हलफनामा-'सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो'

नई दिल्ली:  हाथरस मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया और कहा कि पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो, वहीं  DM द्वारा आधी रात में शव को जलाए जाने पर यूपी सरकार की तरफ़ से कहा गया है कि असाधारण परिस्थितियों और ग़ैर क़ानूनी घटनाओं के चलते ज़िला प्रशासन को ये फ़ैसला लेना पड़ा। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट थी की 30 सितम्बर को सुबह कई संगठनों के लोग गाँव में जमा होंगे। मामले को जातीय रंग देने की कोशिश की जा रही थी। बाबरी मस्जिद के फ़ैसले के चलते यूपी में हाई अलर्ट था। इसलिए इन परिस्थितियों के। चलते ये फ़ैसला लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की 19 वर्षीय दलित युवती के साथ वीभत्स सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में शीर्ष अदालत या हाईकोर्ट के मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की गई है। जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे और अधिवक्ता विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने दायर की है, जिस पर न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है।

याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से निष्पक्ष जांच के लिए उचित आदेश पारित करने का आग्रह किया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा एक मौजूदा या सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराई जाए। इसके साथ ही इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की भी मांग की गई है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के अधिकारी आरोपियों के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।

दलील में कहा गया कि जब पीड़िता अपने पशुओं के लिए चारा लाने के लिए खेत गई हुई थी, तब उसके साथ दुष्कर्म किया गया और क्रूरता के साथ उससे मारपीट भी की गई। इसमें कहा गया है कि एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता की जीभ कटी हुई थी और आरोपियों ने उसकी गर्दन की हड्डी और पीठ की हड्डी भी तोड़ दी थी, जो उच्च जाति के थे। पीड़िता ने बाद में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पुलिस ने शव का दाह संस्कार करने में जल्दबाजी दिखाई और इस अंतिम प्रक्रिया में पीड़िता के परिजन तक भी शामिल नहीं किए गए। याचिका में कहा गया है कि पुलिस की ओर से यह कहना कि पीड़िता का दाह संस्कार उसके परिवार की इच्छा के अनुसार हुआ है, वह सरासर गलत है।

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