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क्या चीन की वजह से वामदलों ने किया था भारत अमेरिका परमाणु समझौते का विरोध?

परमाणु समझौते के कारण 2008 में वाम दल ने मनमोहन सिंह नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को दिया अपना समर्थन वापस ले लिया था। वहीं, भाकपा के महासचिव डी राजा ने कहा कि गोखले द्वारा किए गए दावे "निराधार और बेतुके" हैं और वाम दलों द्वारा परमाणु समझौते पर लिया गया निर्णय केवल राष्ट्रीय हित के लिए था। उ

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : August 04, 2021 10:25 IST
Has left parties opposed india america nuclear deal due to china  क्या चीन की वजह से वामदलों ने किया
Image Source : PTI क्या चीन की वजह से वामदलों ने किया था भारत अमेरिका परमाणु समझौते का विरोध?

नई दिल्ली. माकपा और भाकपा ने पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले के उन दावों को "निराधार" तथा "बदनाम" करने वाला बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वाम दल का भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का विरोध करने का फैसला चीन के प्रभाव में किया गया। गोखले ने अपनी किताब 'द लॉन्ग गेम: हाउ द चाइनीज निगोशिएट विद इंडिया' में कहा है कि चीन ने भारत में वाम दलों के साथ अपने "करीबी संबंधों" का इस्तेमाल भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए "घरेलू विरोध उत्पन्न" करने के वास्ते किया।

विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने गोखले के दावों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वामपंथियों की "देश के बाहर के लोगों के साथ वफादारी" एक सर्वविदित तथ्य है। 

मकापा के महासचिव सीताराम येचुरी ने गोखले के दावों को खारिज करते हुए से कहा, "वाम दलों ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते का विरोध इसलिए किया था क्योंकि यह एक ऐसा समझौता था, जिसमें भारत की सामरिक स्वायत्तता तथा स्वतंत्र विदेश नीति के साथ समझौता किया गया था। यह भारत को एक सैन्य तथा रणनीतिक गठबंधन में शामिल करने के लिए अमेरिका द्वारा शुरू किया गया एक समझौता था। कई दशकों बाद कुछ घटनाओं में इसकी पुष्टि भी हो गई थी।"

उन्होंने कहा कि देश में "एक मेगावाट असैन्य परमाणु शक्ति का भी विस्तार" नहीं हुआ है। "बस इतना ही हुआ है कि भारत घनिष्ठ सैन्य संबंधों के साथ अमेरिका का अधीनस्थ सहयोगी बन गया है।"

महासचिव ने कहा, "वाम दलों ने भारत की संप्रभुता और सामरिक स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए ऐसा रुख अपनाया। इसका चीने से कोई लेना-देना नहीं था। वाम दलों ने ऐसा रुख अपनाया, हालांकि चीन ने अंततः भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह द्वारा दी गई छूट का समर्थन किया। इस मामले पर विजय गोखले की किताब में वामपंथियों के चीन से प्रभावित होने वाली टिप्पणियां पूरी तरह से निराधार हैं। शायद, वह नहीं जानते कि उस समय की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने भी संसद में परमाणु समझौते का विरोध किया था।"

गौरतलब है कि परमाणु समझौते के कारण 2008 में वाम दल ने मनमोहन सिंह नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को दिया अपना समर्थन वापस ले लिया था। वहीं, भाकपा के महासचिव डी राजा ने कहा कि गोखले द्वारा किए गए दावे "निराधार और बेतुके" हैं और वाम दलों द्वारा परमाणु समझौते पर लिया गया निर्णय केवल राष्ट्रीय हित के लिए था। उन्होंने कहा, "कोई भी हमारे द्वारा किए फैसले पर सवाल उठा सकता है, लेकिन इस तरह के फैसलों के पीछे अन्य कारकों को जिम्मेदार ठहराना बदनामी के बराबर है। हमें वास्तव में लगता था कि यह सौदा हमारी स्वतंत्र विदेश नीति को प्रभावित करेगा और भारत को अमेरिकी साम्राज्यवादी रणनीति का मोहताज बना देगा।।"

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