चंडीगढ़। कृषि विधेयकों के खिलाफ जारी किसानों के प्रदर्शन को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने शनिवार को खुफिया इनपुट के हवाले से प्रदर्शन में खालिस्तानियों के शामिल होने की बात की। सीएम खट्टर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'हमारे पास इनपुट है कि कुछ अवांछित तत्व इस भीड़ के अंदर आए हुए हैं। हमारे पास इसकी रिपोर्ट्स है। अभी उसका खुलासा करना ठीक नहीं है, लेकिन जैसे ही पुख्ता प्रमाण मिलेगा हम बताएंगे। उन्होंने सीधे नारे लगाए हैं, जो उनके बीच से ऑडियो-वीडियो वायरल हुए हैं कि हम इंदिरा गांधी को ये कर सकते हैं, तो मोदी को क्यों नहीं कर सकते। एक बार इस समस्या का हल निकले तो सारी चीजें खुलकर सामने आएंगी।'
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के इस बयान के बाद अब किसानों के नए कृषि कानूनों के विरोध-प्रदर्शन में खालिस्तान समर्थकों के भी शामिल होने की भी खबरें आ रही हैं। गौरतलब है कि किसानों से जुड़े नए कृषि बिल के मुद्दे को लेकर पंजाब और हरियाणा की सरकारें आमने-सामने आ गई हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिला। कैप्टन ने बीजेपी की सरकार पर किसानों के खिलाफ हथियार उठाने और उन्हें भड़काने का आरोप लगाया। खट्टर ने इसका जवाब देते हुए कहा कि कैप्टन कोरोना काल में किसानों को भड़का रहे हैं और उनका जीवन खतरे में डाल रहे।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने 26-27 नवंबर को दिल्ली मार्च का आह्वान किया था। इसके लिए हजारों की संख्या में पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे थे। इन्हें दिल्ली जाने से रोकने के लिए सरकार ने कई जगह बैरिकेडिंग की थी। सारी बाधाओं को पार करते हुए किसान आखिरकार शुक्रवार को दिल्ली सीमा के पास पहुंच गए। कृषि बिल को लेकर आंदलोनकारी किसानों का धरना-प्रदर्शन दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी सतसंग ग्राउंड में जारी है। बता दें कि, खट्टर ने शनिवार को फिर दोहराया कि उन्होंने किसान मार्च को लेकर अमरिंदर सिंह से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
जानिए क्या है कृषि कानूनों का पूरा मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए हाल ही में 3 कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।