नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद में इराक के मोसुल में 2014 में इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा अगवा किए गए 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि की। विदेश मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि रडार के इस्तेमाल से भारतीयों के शवों का पता लगाया गया। शवों को कब्रों से निकाला गया और डीएनए के जरिए पहचान की पुष्टि हो सकी। अपने बयान में सुषमा स्वराज ने इस घटना में एकलौते जीवित बचे हरजीत मसीह की बच निकलने की कहानी को गलत बताया। उनके इस बयान के ठीक बाद इस घटना का एकलौता चश्मदीद हरजीत मसीह सामने आ गया है। हरजीत ने भारत सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए सुषमा स्वराज को ही झूठा बताया है। दरअसल हरजीत इस पुरी घटनाक्रम में एकलौते शख्स हैं जो बच निकलने में कामयाब हुए थे। उन्होंने ही सबसे पहले 39 भारतीयों के मारे जाने की बात बताई थी।
क्या पूरा मामला
दरअसल ये सारा मामला 14 जून 2015 से जुड़ा है जब इराक के शहर मोसुल से आईएसआईएस ने कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को बंधक बना लिया था। इन बंधकों में 40 भारतीय भी थे। इन 40 बंधकों 39 भारतीयों को आईएसआईएस ने मार गिराया और केवल एक भारतीय हरजीत बच निकलने में कामयाब रहा।
बच निकलने पर हरजीत की कहानी
वापस भारत लौटने पर खुद हरजीत ने अपनी कहानी सुनाई थी। हरजीत ने कहा था कि आईएस के आतंकी हमें किसी पहाड़ी पर ले गए और हम सभी को किसी दूसरे ग्रुप के हवाले कर दिया। आतंकियों ने दो दिन तक हम सभी को अपने कब्जे में रखा। एक रोज हम सभी को कतार में खड़ा होने को कहा गया और सभी से मोबाइल और पैसे ले लिए गए। इसके बाद, उन्होंने दो-तीन मिनट तक गोलियां बरसाईं। मैं बीच में खड़ा था, मेरे पैर पर गोली लगी और मैं नीचे गिर गया और वहीं चुपचाप लेटा रहा। बाकी सभी लोग मारे गए। बाद में घायल हालत में वहां से बच निकलने में कामयाब रहा।
सुषमा स्वराज ने हरजीत की कहानी को बताया फर्जी
संसद में बोलते हुए जहां विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले से जुड़े कई पहलुओं पर अपनी बात रखी। सुषमा ने हरजीत के इराक से बच निकलने वाली खबर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब ISIS के आतंकियों ने एक कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीयों को एक टेक्सटाइल कंपनी में भिजवाने को कहा था। उनके साथ कुछ बांग्लादेशी युवा भी थे। यहां पर उन्होंने बांग्लादेशियों और भारतीयों को अलग-अलग रखने को कहा। लेकिन हरजीत मसीह ने अपने मालिक के संग जुगाड़ करके अपना नाम अली किया और बांग्लादेशियों वाले समूह में शामिल हो गया। यहां से वह इरबिल पहुंच गया। सुषमा ने बताया कि यह कहानी इसलिए भी सच्ची लगती है क्योंकि इरबिल के नाके से ही हरजीत मसीह ने उन्हें फोन किया था। सुषमा ने आगे बताया, 'हरजीत की कहानी इसलिए भी झूठी लगती है क्योंकि जब उसने फोन किया तो मैंने पूछा कि आप वहां (इरबिल) कैसे पहुंचे? तो उसने कहा मुझे कुछ नहीं पता।' सुषमा ने आगे कहा, 'मैंने उनसे पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि आपको कुछ भी नहीं पता? तो उसने बस यह कहा कि मुझे कुछ नहीं पता, बस आप मुझे यहां से निकाल लो।'
हरजीत ने भारत सरकार पर लगाया झूठ बोलने का आरोप
मैं सच बोल रहा हूं, सरकार झूठ बोल रही है। सरकार ने तीन साल तक लोगों को गुमराह किया। हरजीत उन चालीस भारतीयों में शामिल थे जिसे ISIS ने अगवा किया था. लेकिन हरजीत ISIS के चंगुल से निकलने में कामयाब हुए। अब इस पूरे मामले पर भारत सरकार और हरजीत आमने-सामने आ गए हैं। जहां एक तरफ हरजीत अभी भी अपनी बात पर डंटे हुए हैं तो वहीं भारत सरकार को उनके बच निकलने की कहानी को ही फर्जी बता रही है।