Monday, December 23, 2024
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क्यों कृषि बिलों पर राज्यसभा में नहीं कराया गया मत विभाजन? उपसभापति ने बताई वजह

राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने रविवार को अपना रुख दोहराया कि 20 सितंबर को कृषि विधेयकों को प्रक्रिया के अनुसार पारित कराया गया था और विपक्ष द्वारा मत विभाजन की मांग को नहीं माना गया क्योंकि सदन में हंगामा होने के कारण व्यवस्था नहीं थी।

Written by: Bhasha
Updated : September 28, 2020 8:34 IST
क्यों कृषि बिलों पर राज्यसभा में नहीं कराया गया मत विभाजन? उपसभापति ने बताई वजह
Image Source : PTI/RSTV/FILE क्यों कृषि बिलों पर राज्यसभा में नहीं कराया गया मत विभाजन? उपसभापति ने बताई वजह

नई दिल्ली: राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने रविवार को अपना रुख दोहराया कि 20 सितंबर को कृषि विधेयकों को प्रक्रिया के अनुसार पारित कराया गया था और विपक्ष द्वारा मत विभाजन की मांग को नहीं माना गया क्योंकि सदन में हंगामा होने के कारण व्यवस्था नहीं थी। इस बारे में आई एक मीडिया रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उप सभापति ने कहा, ''नियमों और चलन के अनुसार, मत विभाजन के लिए दो चीजें आवश्यक हैं। पहला कि मत विभाजन की मांग की जानी चाहिए और इतना ही महत्वपूर्ण यह भी है कि सदन व्यवस्थित तरीके से चल रहा हो।'' 

राज्यसभा में 20 सितंबर को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच तीन कृषि विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था। अपनी स्थिति को और अधिक स्पष्ट करते हुए उप सभापति हरिवंश ने एक बयान में कहा कि अध्यादेश को अस्वीकार करने वाले प्रस्ताव और विधेयकों को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग वाले केके रागेश के संशोधन को एक बजकर सात मिनट पर सदन ने ध्वनिमत से नकार दिया और कई सदस्य आसन के पास आ गए थे और उस समय वे अपनी सीटों पर नहीं थे। 

उप सभापति हरिवंश ने कहा कि एक वीडियो में देखा जा सकता है कि उन्हें अपना प्रस्ताव और संशोधन को पेश करने के लिए कहे जाने के बाद, ''मैंने गैलरी की तरफ देखा लेकिन वह वहां नहीं थे।'' उन्होंने बयान में 20 सितंबर की घटना के संबंध में विस्तृत घटनक्रम भी दिया है। बता दें कि इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार का दावा है कि नए नियमों से देश के कृषि क्षेत्र की काया पलट जाएगी, किसानों को लाभ होगा और देश का कृषि क्षेत्र तेजी से विकसित होगा। 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इन विधेयकों को ‘किसान हितैषी’ बताते हुए कहा था कि किसानों की उपज की, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था के तहत खरीद हो रही है और यह आगे भी जारी रहेगी। जबकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इन विधेयकों के विरोध में हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि इन विधेयकों से देश का कृषि क्षेत्र तबाह हो जाएगा, किसानों को नुकसान होगा और देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।

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