नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने गंगा नदी की साफ-सफाई पर आज असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि हालात असाधारण रूप से खराब हैं। नदी की सफाई के लिए शायद ही कोई प्रभावी कदम उठाया गया है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अधिकारियों के दावों के बावजूद गंगा के पुनर्जीवन के लिए जमीनी स्तर पर किए गए काम पर्याप्त नहीं हैं और स्थिति में सुधार के लिए नियमित निगरानी की जरूरत है।
हरित अधिकरण ने आदेश दिए कि गंगा में प्रदूषण के बारे में जमीनी स्तर पर लोगों की राय जानने के लिए सर्वेक्षण कराया जाए। संबंधित अधिकारियों को यह राय ई-मेल के जरिए भेजी जा सकती है। न्यायमूर्ति जवाद रहीम और आर. एस. राठौड़ की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘‘यह देश की सबसे प्रतिष्ठित नदी है जिसका सम्मान 100 करोड़ लोग करते हैं, लेकिन हम इसका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। व्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा ठोस और प्रभावी बनाने की जरूरत है।’’
इससे पहले, एनजीटी ने गोमुख और उन्नाव के बीच गंगा नदी की सफाई के लिए केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर निपटारा रिपोर्ट दाखिल नहीं करने को लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की खिंचाई की थी।