इंदौर: आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज कहा कि सरकार देश को दो अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच की प्रवृत्ति से पूरी तरह मुक्त कराने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को तय समय-सीमा से पहले हासिल किया जा सकता है।
पुरी ने यहां "स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2018" के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान संवाददाताओं से कहा, "वैसे तो हमने दो अक्टूबर, 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य तय किया है। लेकिन स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण का काम अक्टूबर 2018 तक पूरा हो जाएगा।" उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि शौचालयों के निर्माण के बाद लोगों के व्यवहार में बदलाव आयेगा और खुले में शौच की प्रवृत्ति मार्च 2019 तक काफी हद तक खत्म हो जाएगी।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में स्वच्छता अभियान "जन आंदोलन" का रूप ले चुका है। लिहाजा खुले में शौच से मुक्ति के लक्ष्य को तय समय-सीमा से पहले भी हासिल किया जा सकता है। पुरी ने बताया, "हमने लोगों के घरों में 67 लाख शौचालय और पांच लाख सामुदायिक शौचालय बनाने का लक्ष्य तय किया है। इस महीने के आखिर तक हम लोगों के घरों में 57 लाख शौचालय और 3.80 लाख सामुदायिक शौचालय बना देंगे।"
केंद्रीय मंत्री ने सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के इस्तेमाल पर पाबंदी की पैरवी करते हुए कहा कि जिन प्रदेश सरकारों ने अलग-अलग तरीकों से प्लास्टिक सामान को प्रतिबंधित किया है, वे प्रशंसा की पात्र हैं। सभी प्रदेश सरकारों को इस दिशा में पहल करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि "स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2018" को लेकर सुझाव देने और अपने अनुभव साझा करने में आम लोगों ने खूब उत्साह दिखाया। इस सर्वेक्षण के अगले संस्करण में जन भागीदारी बढ़ायी जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष मौजूदगी में होने वाले मुख्य समारोह से पहले, पुरी ने "स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2018" के 41 विजेता शहरों को अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कृत किया। इनमें गिरिडीह, रांची, नागपुर, नवी मुंबई, भिवंडी, अंबिकापुर, तिरुपति, अलीगढ़, कोटा, मेंगलुरु, पणजी और अंकलेश्वर शामिल हैं। पुरी ने बताया कि स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में 2016 और 2017 में क्रमश: 73 और 432 शहरों ने हिस्सा लिया था, जबकि मौजूदा साल में इसके तीसरे संस्करण में 4,203 नगरों ने भाग लिया।