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हड़प्पा के लोग खाते थे यह खास लड्डू, पानी के संपर्क में आने पर लड्डुओं ने बदला रंग

एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 4,000 साल पहले हड़प्पा सभ्यता के दौरान रहने वाले लोग उच्च प्रोटीन वाले मल्टीग्रेन 'लड्डू' का सेवन करते थे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 25, 2021 17:55 IST
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Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL एक अध्ययन से पता चला है कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान रहने वाले लोग उच्च प्रोटीन वाले मल्टीग्रेन 'लड्डू' का सेवन करते थे।

लखनऊ: एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 4,000 साल पहले हड़प्पा सभ्यता के दौरान रहने वाले लोग उच्च प्रोटीन वाले मल्टीग्रेन 'लड्डू' का सेवन करते थे। राजस्थान में एक खुदाई के दौरान मिली सामग्री के वैज्ञानिक अध्ययन से इस बारे में पता चला है। इस अध्ययन को बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पलायोसाइंसेस (BSIP), लखनऊ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से किया है। साथ ही यह अध्ययन हाल ही में 'जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजिकल साइंस: रिपोर्ट्स' में प्रकाशित हुआ।

खुदाई के दौरान मिले थे 7 बेहद खास लड्डू

2014 और 2017 के बीच पश्चिमी राजस्थान के बिंजोर (पाकिस्तान सीमा के पास) में हड़प्पा पुरातात्विक स्थल की खुदाई के दौरान 2017 में कम से कम ऐसे 7 लड्डुओं का पता चला था। BSIP के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेश अग्निहोत्री ने कहा, ‘7 समान बड़े आकार के भूरे रंग के 'लड्डू', बैल की 2 मूर्तियां और एक हाथ से पकड़े गए तांबे के अज (एक कुल्हाड़ी के समान एक उपकरण, जो लकड़ी को काटने या आकार देने के लिए उपयोग किया जाता था) राजस्थान के अनूपगढ़ जिले में हड़प्पा स्थल पर ASI को खुदाई के दौरान प्राप्त हुए थे।’

‘पानी के संपर्क में आकर बैंगनी हो गए लड्डू’
उन्होंने कहा, ‘2600 ईसा पूर्व के आसपास के इन लड्डुओं को अच्छी तरह से संरक्षित पाया गया था, क्योंकि एक मजबूत संरचना इस पर इस तरह से गिर गई थी कि यह उनके लिए छत का काम करता था और उन्हें टूटने से रोकता था। चूंकि ये कीचड़ के संपर्क में थे, इसलिए कुछ आंतरिक कार्बनिक पदार्थ और अन्य हरे रंग के घटक की वजह से यह संरक्षित रहे।’ उन्होंने कहा कि इन 'लड्डुओं' के बारे में सबसे अजीब बात यह है कि जब यह पानी के संपर्क में आया, तो यह बैंगनी हो गया। ASI ने वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए BSIP को लड्डू के नमूने सौंपे थे।

‘शुरुआत में लगा कि यह नॉनवेज फूड है’
अग्निहोत्री ने कहा, ’हमें शुरुआत में लगा था कि यह नॉनवेज फूड है। हालांकि, BSIP के वरिष्ठ वैज्ञानिक अंजुम फारूकी द्वारा की गई प्राथमिक सूक्ष्म जांच में पाया गया कि ये जौ, गेहूं, छोले और कुछ अन्य तिलहनों से बने थे।’ जैसा कि शुरुआती सिंधु घाटी के लोग मुख्य रूप से कृषक थे, उच्च खाद्य सामग्री के साथ मुख्य रूप से शाकाहारी वस्तुओं के साथ इन लड्डुओं की रचना की गई थी। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम स्टार्च और प्रोटीन की उपस्थिति की पुष्टि की गई।

‘लड्डुओं में है मूंग दाल की अधिकता’
वैज्ञानिक ने कहा, ‘इन लड्डुयों में अनाज और दालें थीं, लेकिन मूंग दाल की अधिकता पाई गई है।’ दो संस्थानों के 9 वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों की एक टीम ने निष्कर्ष निकाला कि 7 लड्डुओं की उपस्थिति ने संकेत दिया कि हड़प्पा के लोगों ने प्रसाद बनाया, अनुष्ठान किया और तत्काल पोषण के लिए भोजन के रूप में बहु-पोषक कॉम्पैक्ट लड्डू का सेवन किया। इन सात खाद्य पदार्थो के आसपास के क्षेत्र में बैल की मूर्तिया, श्रृंगार और एक हड़प्पा की सील की मौजूदगी इस बात का द्योतक है कि मनुष्य इन सभी वस्तुओं को उनकी उपयोगिता और महत्व के कारण पूजनीय मानते थे। (IANS)

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