नई दिल्ली: तापमान आसमान छू रहा है और पानी पाताल के भी नीचे जा रहा है। देश में ऐसा सूखा पड़ा है जैसा पहले शायद ही कभी देखा गया होगा। आधे हिंदुस्तान में पानी की कमी से हाहाकार मचा हुआ है। गांव से शहर तक लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। सूखे का आलम यह है कि मध्य प्रदेश में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। सूखे ने ऐसा प्रहार किया है कि फसलों की तो छोड़िए, इंसानों और जानवरों तक का गला सूखा है। राजगढ़, झाबुआ, बैतुल, दमोह, आगर मालवा, डिंडोरी जिस जिले, जिस शहर, जिस गांव में जाएंगे, वहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है।
राजस्थान बॉर्डर के पास श्रीजीबोरदा नाम के गांव की महिलाएं को भरी दोपहरी में तीन किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाना पड़ रहा है। हालत ये है कि पाताल से पानी लाने के लिए गांव वालों को कुएं की एक एक सीढ़ी पर खड़े होना पड़ रहा है तब जाकर नीचे का पानी ऊपर तक पहुंचता है।
लोगों को जो पानी मिल पा रहा है वो भी इतना गंदा है कि उसे पीया नहीं जा सकता। लोग कपड़े से छानकर जैसे तैसे पानी का इंतजाम कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। वहीं पानी के लिए लोगों की जान तक जा रही है। डिंडोरी जिले के सारसताल गांव में मंगलू नाम का शख्स कुएं में पानी लेने गया था लेकिन गहरे कुएं में गिरकर उसकी मौत हो गई। बड़ी मुश्किल से शव को कुएं से बाहर निकाला गया।
कुछ ऐसा ही हाल राजस्थान का भी है। पूरे राजस्थान में भीषण गर्मी की मार है। ऐसे में पानी की समस्या आम जनता पर दोहरा प्रहार कर रहा है। बासवांड़ा में लोग पानी की भीषण समस्या का सामना कर रहे हैं। अजमेर में लोग पैसा खर्च कर टैकरों से पानी मंगा रहे हैं। हालात ये है कि पानी कई बार चोरी भी हो जाता है। पानी की चोरी से बचने के लिए लोग पानी के ड्रमों में ताला लगा रहे हैं। रात के समय भी जमा पानी पर निगरानी रखनी पड़ रही है।
पानी का संकट सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं है, दक्षिण भारत भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। कर्नाटक में भी पानी का जोरदार संकट है। छोटे-बड़े जलाशयों में नाम मात्र का पानी बचा है। शिमोगा में पानी की समस्या ने लोगों को सड़कों पर ला दिया है। आने वाले दिनों में हालात और भी बुरे होने वाले हैं। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल तक भारत में बीस करोड़ लोग पीने के पानी के लिए तरस जाएंगे।