भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का उच्च शिक्षा विभाग विवादों में आ गया है। वजह उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाली ग्वालियर यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित की जा रही एमए की परीक्षा में पूछा गया एक प्रश्न है। प्रश्न में क्रांतिकारियों को ‘क्रांतिकारी आतंकवादी’ लिखा गया है। मामला सामने आते ही भाजपा ने इसे कांग्रेस की मानसिकता बताते हुए कहा कि कांग्रेस सिर्फ नेहरू परिवार का महिमामंडन करना जानती है, वही बैकफुट पर आए कांग्रेस के उच्च शिक्षा मंत्री ने इस मामले को गंभीर चूक बताते हुए मामले पर जांच बिठा दी है।
भले ही कहा जाता हो कि आतंकवाद की कोई धर्म,जाति या परिभाषा नहीं होती है ।लेकिन अगर आतंकवाद को क्रांतिकारी बताया जाए और वह भी सरकार द्वारा संचालित यूनिवर्सिटी के एक प्रश्न पत्र में तो विवाद खड़ा हो जाना लाजिमी होता है। जी, हां मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित की जा रही तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में कुछ ऐसा ही प्रश्न पूछा गया जिसके चलते प्रदेश भर में विवाद खड़ा हो गया है।
प्रश्न पत्र में पूछा गया ‘क्रांतिकारी आतंकवादियों’ के कार्यकलाप का वर्णन कीजिए और उग्रवादी और ‘क्रांतिकारी आतंकवादियों’ में क्या अंतर है। जाहिर है आतंकवादियों की क्रांतिकारियों से की गई इस कथित तुलना से भाजपा ने पूरी कांग्रेस सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने इंडिया टीवी से कहा कि कांग्रेस की सरकार में केवल क्रांतिकारियों का अपमान होता है क्योंकि वह चाहते हैं कि से नेहरू परिवार का ही महिमामंडन हो।
दरअसल जीवाजी यूनिवर्सिटी में एमए तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। एमए तीसरे सेमेस्टर के राजनीति विज्ञान के पेपर में भारतीय राजनैतिक आधुनिक चिंतन में ये प्रश्न पूछा गया था। इस प्रश्न को लेकर जहां राजनीतिक संगठनों को आपत्ति है वहीं छात्रों को भी आपत्ति थी। उनका मानना था कि क्रांतिकारी शब्द के साथ आतंकवादी शब्द लगाना क्रांतिकारियों का अपमान है।
मामले की गंभीरता को देखते ही कमलनाथ सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी सामने आए। इस मामले को गंभीर चूक बताते हुए उन्होंने जांच कमेटी बनाते हुए 3 दिन के अंदर रिपोर्ट सामने आने पर दोषियों पर कार्यवाही की बात कही है। जीतू पटवारी ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा कि परीक्षा में जो प्रश्न पत्र आता है इसकी एक गोपनीय व्यवस्था रहती है, और क्योंकि यह चूक नहीं एक बहुत बड़ी भूल है, प्रश्न जैसे ही सामने आया संज्ञान में आया वैसे ही जांच के आदेश दिए हैं, 3 दिन में जांच पूरी करके दोषी का पता लगाकर उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।