सिरसा: बलात्कारी राम रहीम...जो इस समय जेल में चक्की पीस रहा है, अपने कुकर्मों की सज़ा भुगत रहा है उस राम रहीम को लेकर अब नए दावे किए जा रहे हैं। दावा है कि राम रहीम जेल में बैठकर डेरे को कंट्रोल कर रहा है। दावा किया जा रहा है कि इस वक़्त राम रहीम की गैरमौजूदगी में उसकी मां नसीब कौर डेरे की कमान संभाल रही है।
दरअसल राम रहीम के जेल जाने के बाद सिरसा के जिस डेरे में लोगों का आना कम हो गया था, उसी डेरे में फिर से रौनक लौटने लगी है और इसकी वजह हैं राम रहीम की मां नसीब कौर..। खबर है कि पिछले कुछ महीनों में नसीब कौर ही डेरे का नया चेहरा बनकर उभरी हैं और वो ही डेरे की कमान संभाल रही हैं। नसीब कौर हर हफ्ते राजस्थान के गुरसर मोडिया गांव से कम से कम एक बार भक्तों से मिलने सिरसा मुख्यालय पहुंचती है। वो अक्सर रविवार को आती हैं जब सिरसा में डेरा समर्थक नाम चर्चा के लिए जमा होते हैं।
इन ख़बरों के बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या राम रहीम की मां नसीब कौर ने पूरी तरह से डेरे की कमान अपने हाथों में ले ली है। हालांकि इसे लेकर भी नए नए दावे किए जा रहे हैं। दावा यहां तक है कि जेल से डेरा चलाने के लिए राम रहीम ने अपनी मां को मोहरा बना लिया है। जो लोग राम रहीम को क़रीब से जानते हैं वो उसकी रग रग से वाकिफ हैं। उन्हें पता है कि राम रहीम ने कैसे अपनी काली करतूतों से बेहिसाब दौलत कमाई है और उनका दावा है कि कुछ भी हो जाए। राम रहीम अपने हाथों से डेरे की कमान नहीं जाने देगा।
राम रहीम के पूर्व सेवादार गुरदास तूर का मानना है कि डेरे में राम रहीम की मां नसौब कौर की मौजूदगी किसी और नहीं बल्कि राम रहीम के ही इशारे पर ही बढ़ी है। दावा है कि राम रहीम भले ही खुद सलाखों के पीछे हो लेकिन वो एक ऐसा चेहरा चाहता है जिसे लेकर डेरे पर उसके भक्तों का यक़ीन बना रहे। वो नसीब कौर ही हैं जो अपने बेटे राम रहीम से रोहतक की सुनारिया जेल में जाकर मिलती रही हैं। जब पिछले साल राम रहीम को सज़ा हुई थी तो वो मां नसीब कौर ही थीं जो उससे मुलाकात करने के लिए सबसे पहले जेल पहुंची थीं। पता चला था कि ना सिर्फ उस दौरान राम रहीम अपनी मां के सामने रोया भी था बल्कि उसने अपनी मां से डेरे का हाल भी पूछा था। इसके बाद से लेकर नसीब कई बार राम रहीम से जेल मिलने के लिए जा चुकी हैं।
दावा यहां तक है कि राम रहीम भले ही 20 साल के लिए काल कोठरी की कैद में जा चुका है लेकिन अभी भी उसने अपने दिल में जल्द बाहर निकलने का ख्वाब पाल रखा है। ताकि वो फिर से डेरे पर अपनी हुकूमत चला सके। इसके लिए कुछ वक़्त तक उसने मां को डेरे की कमान सौंप दी है।
डेरा सच्चा सौदा की शुरुआत 1948 में एक संत शाह मस्ताना ने की थी लेकिन 1990 में डेरा की सत्ता संभालने के बाद ये राम रहीम की जागीर बन गया और डेरा के नाम पर राम रहीम की सल्तनत सिरसा से सात समंदर पार तक फैलती चली गई।