नई दिल्ली: गुरमीत राम रहीम कोई बाबा, संत या अवतार नहीं एक बलात्कारी है। पंचकूला की सीबीआई अदालत ने आज जो फैसला सुनाया, उसने एक साथ कई चेहरों से नकाब उठा दिया। धर्म के इस रक्षक का वो चेहरा सामने आ गया, जिसे ना तो धर्म से कोई लेना-देना है और ना ही आध्यात्म से। लोगों की भावनाओं और आस्था को भड़काकर इस शख्स ने अय्याशी का साम्राज्य खड़ा किया है।
यह शख्स खुद को आस्था का अवतार, लोगों का भगवान कहता था। फिल्में दिखाकर कुछ भी कर गुजरने का दावा करता था। आज इस शख्स के चेहरे से सारे चोले हट गए। आज सीबीआई की विशेष अदालत के एक फैसले ने साबित कर दिया कि लोगों की आस्था ने जिसे अब तक एक पहुंचा हुआ बाबा माना था, वो असल में ढोंगी और बलात्कारी से ज्यादा कुछ भी नहीं।
सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का ये आश्रम करीब सात सौ एकड़ में फैला हुआ है। सबसे खास बात ये है कि इस आश्रम के अंदर ही सबकुछ है। गुरमीत राम रहीम का मायालोक ऐसा है जहां एक तरफ आस्था का आश्रम है और दूसरी तरफ ऐश का अड्डा। 700 एकड़ में बसा एक ऐसा शहर, जहां पत्ता भी डोलता है तो राम रहीम के इशारे पर। यह अपने आप में एक शहर से कम नहीं। आश्रम में एक हवाई पट्टी भी है, जिसपर बाबा राम रहीम का प्लेन लैंड और टेकऑफ करता है। महंगी बाइक और इंपोर्टेड कार गुरमीत बाबा राम रहीम के लिए मानो जिद की हद तक के शौक हैं। उसकी ऐशगाह में उनके पास महंगी कारों का एक लंबा चौड़ा काफिला है।
इस गुनहगार बाबा के गैराज में मर्सडीज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी, लेक्सस और टोयोटा जैसी कई कारें आपको खड़ी मिलेंगी। दिलचस्प बात ये है कि इन सभी कारों का रंग और रजिस्ट्रेशन नंबर एक जैसा है। जिस एसयूवी से राम रहीम बाहर सड़कों पर निकलते हैं, वो गाड़ी बुलेटप्रूफ भी है और उसमें जैमर भी लगा हुआ है।डेरा प्रमुख बनने के बाद भी गुरमीत राम रहीम का परिवार इसी आश्रम में उसके साथ रहता है। इतना ही नहीं, राम रहीम ने अपने बेटे जसमीत सिंह को अपना वारिस भी घोषित कर दिया है। डेरा सच्चा सौदा की शुरुआत 1948 में एक संत शाह मस्ताना ने की थी। लेकिन 1990 में डेरा की सत्ता संभालने के बाद ये राम रहीम की जागीर बन गया।