नई दिल्ली: बिहार के सुपौल जिला के बलुआ बाजार में बुधवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ कर दिया गया लेकिन इस दौरान जब जवानों ने उन्हें राइफल से सलामी देनी चाही तब ऐन मौके पर पुलिस का हथियार धोखा दे गया। एक भी गोली नहीं चल सकी। पुलिस के मुताबिक, अंतिम संस्कार के दौरान 21 पुलिस जवानों ने पूर्व मुख्यमंत्री को अंतिम सलामी देनी चाही, परंतु एक भी हथियार साथ नहीं दिया। इस क्रम में जवानों ने पूरी कोशिश की, लेकिन गोलियां नहीं चलीं। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ ही जिले के तमाम वरीय पुलिस प्रशासन के पदाधिकारी भी मौजूद थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अधिकारियों ने भी जवानों की समस्या जानने की कोशिश की और राइफल और गोली का जायजा लिया, लेकिन कोई उपाय नही ढूंढ़ सके। अंत में बिना हथियार से सलामी दिए अंत्येष्टि कार्य पूरा किया गया।
इस बारे में किसी भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कुछ भी नहीं कहा है। सुपौल के पुलिस अधीक्षक मृत्युंजय चौधरी ने मात्र इतना कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, 'उसमें ऐम्पटी कार्ट्रिज फायर किया जाता है, जिसमें सिर्फ आवाज होती है। लाइव कार्ट्रिज नहीं होता है। लाइव कार्ट्रिज ड्यूटी के दौरान इस्तेमाल करते हैं। यह ब्लैंक कार्ट्रिज होती है, इसमें पेंदे पर जब चोट पड़ती है तो स्पार्क के साथ महज आवाज उत्पन्न होती है। अब जांच करके पता करा रहे हैं कि इस कार्ट्रिज में क्या दिक्कत थी, किस बैच की कार्ट्रिज थी, कब आई थी, कब से इसका इस्तेमाल नहीं हुआ था। हम इस मामले की जांच कराने के बाद ही कुछ स्पष्ट कर पाएंगे।'
गौरतलब है कि जगन्नाथ मिश्रा पहली बार 1975 में राज्य के मुख्यमंत्री बने और अप्रैल 1977 तक इस पद पर रहे थे। उसके बाद 1980 में उन्होंने तीन साल के लिए मुख्यमंत्री की कमान संभाली। 1989 में मिश्रा तीन महीने के लिए सीएम बने थे। मिश्रा तीन बार कांग्रेस पार्टी में रहते हुए बिहार के सीएम पद पर पहुंचे थे। मिश्रा ने बिहार में कांग्रेस को बुलंदियों पर पहुंचाया था। फिलहाल वह जेडीयू के सदस्य थे। मिश्रा बिहार में 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में भी फंसे थे।