नई दिल्ली: गुजरात में धोलावीरा को UNSECO की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। रण ऑफ कच्छ के पास स्थित धोलावीरा को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खोजा था। पद्मश्री आरएस बिष्ट की देखरेख में इसकी खोज हुई थी और स्थानीय लोग इसे कोटा दा टिंबा कहते हैं। इस जगह को हड़प्पा सभ्यता से जोड़कर देखा जाता है। हड़प्पा सभ्यता 3000 बीसी से 1500 बीसी के बीच थी।
धोलावीरा के UNSECO की वैश्विक धरोहर लिस्ट में शामिल होने पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि 2014 से लेकर अबतक UNSECO भारत की 10 जगहों को वैश्विक धरोहर की लिस्ट में शामिल कर चुका है और अबतक भारत की कुल 40 जगहें इस लिस्ट में शामिल हुई हैं और उनमें से 25 प्रतिशत पिछले 7 वर्षों में शामिल की गई हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति, जीवन शैली और विरासत को प्रोत्साहित करने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने अबतक जो प्रयास किए हैं यह उसी का परिणाम है।
धोलावीरा को उसके कालखंड के भव्य शहरों में शामिल किया जाता है जो 'कच्छ के रण' के मध्य स्थित द्वीप 'खडीर' में स्थित है। मंगलवार को UNSECO की वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 44वें सेशन में धोलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का टैग दिए जाने का फैसला लिया गया। UNSECO के मुताबिक किसी ऐसी विरासत को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया जाता है, जो संस्कृति और प्राकृतिक महत्व की हो।
इसके अलावा किसी भी देश की संस्कृति की झलक देने वाली और भविष्य में भी मानव समाज को प्रेरित करने वाली जगहों को यह दर्जा दिया जाता है। गुजरात की बात करें तो धोलावीरा समेत अब कुल 4 वर्ल्ड हेरिटेज साइट यहां मौजूद हैं। धोलावीरा के अलावा पावागढ़ में स्थित चंपानेर, पाटन और अहमदाबाद में रानी की वाव को भी वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिला है।
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