नई दिल्ली: गुजरात एटीएस ने लखनऊ में कमलेश तिवारी हत्याकांड को सुलझाने का दावा किया है। इस सिलसिले में देर रात सूरत से 3 लोगों को हिरासत में लिया है। बाकी दो आरोपियों की तलाश जारी है। बाकी दो आरोपियों की पहचान कर ली गयी है। ये वही दोनों हैं जिन्होंने लखनऊ जाकर कमलेश तिवारी की हत्या की थी। सूत्रों के मुताबिक कातिल जो मिठाई का डिब्बा लेकर कमलेश तिवारी के घर पहुंचे थे, उसी डिब्बे से एटीएस को हत्यारों का सुराग मिला। डिब्बे पर सूरत की दुकान का पता लिखा था। एटीएस ने पहले इस दुकान से मिठाई खरीदने वाले दो लोगों को पकड़ा और फिर उनसे पूछताछ कर बाकी आरोपियों तक पहुंची।
बता दें कि लखनऊ में हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की दिनदहाड़े हत्या से बवाल मचा हुआ है। परिवार ने सरकार से 5 करोड़ का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी की मांग की है। परिवार का कहन है कि जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती वो अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। शुक्रवार का पूरा दिन गुजर गया लेकिन हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिला।
परिवार इंसाफ मांग रहा है, हत्यारे का नाम पता भी बता रहा है। कमलेश तिवारी की पत्नी किरण तिवारी की शिकायत पत्र में बिजनौर के दो मौलानाओं का जिक्र है जिनके नाम नसीम क़ासमी और अनवारुलहक़ हैं। दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है लेकिन जब तलाशी शुरू हुई तो दोनों लापता हैं। 2015 में अनवारुलहक़ ने कमलेश तिवारी का सिर कलम करने वालों को 51 लाख के इनाम का ऐलान किया था।
कमलेश पहले हिन्दू महासभा में बड़े पद पर थे। कुछ महीने पहले इन्होंने अपनी पार्टी बनाई। लखनऊ में हजारों की संख्या में कमलेश तिवारी को जानने वाले हैं और जब पता चला कि उनकी हत्या हो गई है तो सब गुस्से से आग-बबूला हो गए।
परिवार का गुस्सा आधी रात को उस वक्त और बढ़ गया जब पांच घंटे हो गए थे और शव परिवार वालों को सौंपा नहीं जा रहा था। यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा परिवार वालों से मिलने आए थे लेकिन लोगों का गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्हें दरवाजे पर पहुंचने तक नहीं दिया गया।
देर रात परिवार वालों को शव सौंपा गया। पूरा का पूरा प्रशासन कमलेश तिवारी के घर पर खड़ा है। कमलेश तिवारी ने 2018 में अपनी हत्या की आशंका जताई थी, सरकार की ओर से सुरक्षा भी मिली लेकिन कातिल अपने प्लान में कामयाब हो गए। परिवार वाले हत्यारों के लिए फांसी की सजा मांग रहे हैं।
बता दें कि उन्होंने पैगंबर मुहम्मद से जुड़ी अत्यधिक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया था। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उनके खिलाफ एनएसए रद्द कर दिया था।