नई दिल्ली: केंद्र सरकार का दावा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के साथ ही देश में आजादी के बाद सबसे बड़ी कर सुधार व्यवस्था अस्तित्व में आ जाएगी। लोगों के मन में इसे लेकर तरह-तरह के सवाल उमड़-घुमड़ रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि मध्यम आयवर्ग पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? कहीं यह पहले से ही महंगाई के बोझ तले दबे आम आदमी की जेब को और ढीली तो नहीं करेगा! ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
सवाल ढेरों हैं, लेकिन सबसे अहम सवाल जीएसटी के कारण वस्तुओं की कीमतों पर पड़ने वाला प्रभाव है, क्योंकि यह अप्रत्यक्ष कर है, जो सीधे-सीधे ग्राहकों से नहीं वसूला जाता, लेकिन अंतत: यह ग्राहक की जेब से ही जाता है। केंद्र सरकार एक जुलाई से जीएसटी लागू करने को लेकर अपनी कमर कस चुकी है।
इस बारे में जाने-माने अर्थशास्त्री सुब्रोकमल दत्ता ने कहा, "जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले अलग-अलग सभी कर एक ही कर में समाहित हो जाएंगे। देशभर में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगभग समान हो जाएंगी। सामग्री बनाने की लागत घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ता होगा। जीएसटी लागू होने के बाद कर की दरें 18 प्रतिशत तक होने का अनुमान है। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान में जहां कई करों को मिलाकर 25-26 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है, जीएसटी के लागू हो जाने से यह 18 फीसदी तक ही देना होगा। 26 से 18 प्रतिशत टैक्स यानी आठ प्रतिशत की टैक्स कटौती होगी, जिससे जाहिर है कि वस्तुओं की कीमतें कम हो जाएंगी।"
जीएसटी के तहत तीन कर लगेंगे पहला सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी जो केंद्र सरकार वसूलेगी। दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी। कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा, तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जएगा।
जाहिर है, वस्तुओं पर लगने वाली करों की संख्या कम होगी, तो उसका असर उसकी कीमत पर पड़ेगा।
इस बारे में दत्ता ने कहा, "जीएसटी लागू होने से न केवल कीमतें घटेंगी, बल्कि कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा भी शुरू होगी, जैसा कि हम 4जी के क्षेत्र में रिलायंस जियो के प्रवेश करने के बाद देख रहे हैं। जब सभी जगह कीमतें समान होंगी, तो कंपनियां अपने माल को बढ़ावा देने के लिए बाजार में प्रमोशनल ऑफर्स लाएंगी, जिसका फायदा सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को मिलेगा।"
उन्होंने कहा, "दरअसल, आज एक ही चीज अलग-अलग राज्य में अलग-अलग दाम पर बिकती है। इसकी वजह है कि अलग-अलग राज्यों में उसपर लगने वाले करों की संख्या और दर अलग-अलग होती है। अब यह नहीं होगा। हर चीज पर जहां उसका निर्माण हो रहा है, वहीं जीएसटी वसूल लिया जाएगा और उसके बाद उसके लिए आगे कोई चुंगी कर, बिक्री कर या अन्य कोई कर नहीं देना पड़ेगा। इससे पूरे देश में वह चीज एक ही दाम पर मिलेगी। कई राज्यों में कर की दर बहुत ज्यादा है। ऐसे राज्यों में वे चीजें सस्ती हो जाएंगी।"
सरकार और जनता दोनों के लिए जीएसटी को लेकर सबसे राहत की बात है कि इससे भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, कर की चोरी पर लगाम लगेगी।
डॉ. दत्ता ने कहा, "मौजूदा वक्त में एक वस्तु के निर्माण से लेकर उसे लोगों तक पहुंचाने में उस वस्तु पर विभिन्न करों को मिलाकर कुल 25-26 फीसदी तक कर वसूला जाता है। इन सभी करों को वसूलने के दौरान अधिकारियों द्वारा कई तरह की अनियमितताएं बरती जाती हैं, जिससे भ्रष्टाचार पैदा होता है और बढ़ता है।"
उन्होंने कहा, "'जीएसटी के तहत एक कर प्रणाली के लागू हो जाने से ये सारे कर खत्म हो जाएंगे और भ्रष्टाचार कम हो जाएगा, जिससे जाहिर है कीमतें कम होंगी और इसका सीधा फायदा आम आदमी को ही मिलेगा। जीएसटी के चलते टैक्स जमा करना जब सुविधापूर्ण और आसान होगा, तो ज्यादा से ज्यादा कारोबारी कर भरने में रुचि दिखाएंगे, जिससे सरकार को फायदा होगा।"
वहीं, इंटेरेम रिलोकेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल पिल्लै ने कहा, "जीएसटी का फायदा अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को होगा। हम अपने क्षेत्र यानी रिलोकेशन कारोबार की बात करें, तो यह देश या विश्वस्तर पर होता है। इसका मतलब यह है कि इसे कई तरह के कर और परिवहन में आने वाली मुश्किलों का सामना करता है। ऐसे में हमारे लिए अच्छी खबर है कि जीएसटी लागू होने जा रहा है, जिससे हम एक जगह पर कर चुकाकर जगह-जगह कर देने और भ्रष्टाचार से बचेंगे।"
जीएसटी का एक बड़ा असर यह होगा कि ऑनलाइन और ऑफलाइन बिकने वाली वस्तुओं की कीमतें लगभग समान हो जाएंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी, जिसका सीधा फायदा ग्राहकों को होगा।
इस बारे में सुब्रोकमल दत्ता ने कहा, "जीएसटी के आने से पारंपरिक बाजारों पर ऑनलाइन कंपनियों की मार का असर कम हो जाएगा, क्योंकि कर की मौजूदा व्यवस्था में ऑनलाइन बिक्री पर कुछ करों से छूट मिलती थी, जिसके कारण ऑनलाइन बिकने वाली वस्तुओं की कीमतें ऑफलाइन की तुलना में कम होती थीं। लेकिन जीएसटी व्यवस्था में दोनों पर ही कर की दरें लगभग समान होंगी, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी। जितनी ज्यादा प्रतिस्पर्धा होगी, ग्राहकों को उतना ही ज्यादा फायदा होगा।"
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