नई दिल्ली: मोदी सरकार अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के बाद हरकत में आ गई है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को दूर करने के लिए तात्कालिक ठोस उपायों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की विसंगतियों को दूर करने पर चर्चा हुई जिसके बाद अब सबकी नजरें जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक पर टिक गई है। इस बैठक में जीएसटी को लेकर कुछ बड़े फैसले होने की उम्मीद जताई जा रही है। खबर है कि सरकार छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देने के लिए कई फैसले कर सकती है। यानी दिवाली से पहले सरकार कारोबारियों को दे सकती है गिफ़्ट।
पीएम मोदी के इस भरोसे के बाद कि बदलाव जरुरी है समझा जा सकता है कि आज जीएसटी काउंसिल की बैठक में कारोबारियों को दीवाली गिफ्ट मिल सकता है। हो सकता है कपड़ा उद्योग के लिए राहत की खबर आए। उम्मीद सबको है क्योंकि तीन महीनों में उलझनें इतनी बढ़ गई है कि सरकार भी अब चाहती है कि इसे सुलझाया जाए। हो सकता है इस बैठक में ये फैसला हो कि जो छोटे कारोबारी है, जिनका टर्न ओवर डेढ़ करोड़ से कम है, उनको अब हर महीने रिटर्न नहीं भरना हो। उनको अब तीन महीने में एक बार रिटर्न भरना हो जिससे उनकी परेशानी कम हो सके।
अभी छोटे व्यापारी को हर महीने रिटर्न दाखिल करना होता है और अगर ये तिमाही हो गया तो उनकी बड़ी समस्या हल हो जाएगी। व्यापारी जीएसटी प्रकिया की जटिलता को लेकर पहले हीं शिकायत दर्ज करा चुके हैं इसलिए हो सकता है कि आसान जीएसटी रिटर्न फॉर्म भरने की व्यवस्था की जाए। साथ ही कंपोजिशन स्कीम का फायदा 20 से 75 लाख टर्नओवर वालों को मिलता है। अगर इसे बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया जाए तो ज़्यादा व्यापारियों को फायदा मिलेगा।
कंपोजिशन स्कीम वो स्कीम है जिसमें छोटे व्यापारी अगर बिल बनाते हैं तो उनको ये नहीं लिखना पड़ता है कि उन्होंने कितना टैक्स लिया। मतलब आपको ये आजादी है कि आप टैक्स की जानकारी बिल पर ना दें। इसका सीधा फायदा छोटे कारोबारियों को होता ही है साथ ही कुछ मामलों में ग्राहकों को भी होता है।
दिल्ली से लेकर गुजरात तक के छोटे व्यापारी परेशान है और अब विरोध की आवाज सड़कों पर सुनाई देने लगी है इसलिए गुजरात में चुनाव को देखते हुए कुछ बदलाव हो सकते हैं और इसका संकेत खुद पीएम मोदी दे चुके हैं। दूसरी तरफ राहुल गांधी भी कारोबारियों के असंतोष का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सरकार कतई नहीं चाहेगी कि गुजरात चुनाव के वक़्त कारोबारियों का भरोसा भाजपा पर से उठ जाए।