अमृतसर: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को कहा कि निरंकारी भवन पर हमला ‘‘आतंकवाद’’ का मामला है। इसके साथ ही उन्होंने इस विस्फोट में पाकिस्तान का हाथ होने का संकेत दिया। सिंह ने अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ घटनास्थल का दौरा किया और इसके बाद कहा कि कुछ ‘‘सुराग’’ मिले हैं जिन पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अपराधियों को जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अमृतसर की घटना में शामिल लोगों के संबंध में जानकारी मुहैया कराने वाले को 50 लाख रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की। अमरिंदर ने कहा कि निरंकारी भवन में ग्रेनेड हमले में पाकिस्तान का हाथ प्रतीत होता है और प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि इस्तेमाल किया गया ग्रेनेड पाकिस्तानी सेना के आयुध कारखाने द्वारा निर्मित ग्रेनेड के समान था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने पिछले महीने एक आतंकवादी मॉड्यूल से इसी प्रकार के एचजी-84 हथगोले बरामद किए थे। इससे सीमा पार की देशविरोधी ताकतों के शामिल होने के काफी संकेत मिलते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह अलगाववादी ताकतों की आतंकवादी गतिविधि है जिसे आईएसआई समर्थित खालिस्तानी या कश्मीरी आतंकवादी समूहों की भागीदारी से अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने घटना को गंभीरता से लिया है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी जांच में सहयोग कर रही है।
रविवार को बाइक सवार दो लोगों ने एक धार्मिक समागम में ग्रेनेड फेंका था। इस विस्फोट में एक उपदेशक सहित तीन लोगों की मौत हो गई जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। अमृतसर के राजा सांसी के समीप अदलिवाल गांव में निरंकारी भवन में निरंकारी पंथ के धार्मिक समागम के दौरान यह हमला हुआ। पुलिस इस घटना को ‘‘आतंकवादी हमला’’ मानकर जांच कर रही है।
अमरिंदर चंडीगढ़ से अपने कैबिनेट सहयोगी और अमृतसर के विधायक नवजोत सिंह सिद्धू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ स्थिति का जायजा लेने के लिए यहां पहुंचे। इस बीच शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखवीर सिंह बादल ने अमृतसर में ग्रेनेड हमले को लेकर अमरिंदर सिंह पर दोषारोपण किया और आरोप लगाया कि राज्य में गड़बडी पैदा करने पर तुले चरमपंथी तत्वों के साथ उनका मेलजोल है।
बादल ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, "मैं आतंकवादी गतिविधि के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को पूरी तरह से दोषी ठहराता हूं, क्योंकि यह कट्टरपंथियों का समर्थन करने और कट्टरपंथियों को प्रोत्साहित करने की साजिश है। अमृतसर में जो हुआ, उसके लिए वह ज़िम्मेदार हैं मुख्यमंत्री का उन तत्वों के साथ मेलजोल है जो पंजाब में गड़बड़ी पैदा करने पर तुले हुए हैं।’’
एनआईए की एक टीम रविवार की रात जांचकर्ताओं और विस्फोटक विशेषज्ञों के साथ मौके पर गई थी। उन्होंने पंजाब पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ भी चर्चा की। अमरिंदर ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि इस हमले की तुलना 1978 के निरंकारी संघर्ष के साथ नहीं जा सकती क्योंकि वह एक धार्मिक मामला था और यह घटना पूरी तरह से आतंकवाद का मामला है।
उल्लेखनीय है कि 13 अप्रैल 1978 को अमृतसर में संत निरंकारी मिशन और सिखों के बीच हुई हिंसा में 13 लोगों की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार रविवार की घटना में कोई धार्मिक मकसद नहीं था। एक प्रश्न के जवाब में सिंह ने कहा कि राज्य पहले से ही हाई अलर्ट पर है और ऐतिहासिक इमारतों और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक प्रतिष्ठानों तथा बुनियादी ढांचों के आसपास सख्त जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सभी जिलों में पुलिस नाके बनाए गए हैं और गश्ती दल संदिग्ध वस्तुओं/गतिविधियों की तलाश में जुटे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला और पुलिस प्रशासन को सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की संभावना का पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं। सिंह घायलों से मिलने के लिए अस्पताल गए और हमले में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए नौकरियों और घायलों के मुफ्त उपचार तथा 50,000 रुपये की मदद की घोषणा की।
संत निरंकारी मिशन ने एक बयान में कहा कि संत निरंकारी मंडल इस घटना में सभी प्रभावित भाइयों और बहनों के साथ हर संभव तरीके से खड़े होने का वादा करता है। संत निरंकारी मंडल की कार्यकारी समिति के सदस्यों की एक टीम मृतकों और घायल श्रद्धालुओं के परिवारों से मुलाकात कर रही है। प्रारंभिक पुलिस रिपोर्टों के अनुसार सशस्त्र और नकाबपोश हमलावरों ने सुरक्षाकर्मियों को बंधक बना लिया और भवन के अंदर घुस गए तथा ग्रेनेड फेंका।
इससे पहले मुख्यमंत्री के यहां पहुंचने पर गृह सचिव एनएस कल्सी, डीजीपी सुरेश अरोड़ा, अमृतसर के आईजी सुरिंदर पाल परमार और अमृतसर के डीसी कमलदीप ने उन्हें जांच में अब तक हुई प्रगति की जानकारी दी।