नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर और सरकारी कंपनियों (PSUs) में काम करने वाले नौकरीपेशा लोगों के लिए एक खुशखबरी है। दरअसल सरकार ग्रैच्युटी की समय सीमा को घटाने पर विचार कर रही है। श्रम मंत्रालय की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो कर्मचारी को एक साल काम करने के बाद नौकरी छोड़ने पर या नौकरी से निकाले जाने पर ग्रैच्युटी का पैसा मिलने लगेगा। इसके अलावा सरकार टैक्स फ्री ग्रैच्युटी भुगतान की सीमा दोगुना करने पर भी विचार कर रही है।
गौरतलब है कि अभी 5 साल की नौकरी पूरी करने पर ही कर्मचारी ग्रैच्युटी के पात्र होते हैं। श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इससे संबंधित प्रस्ताव दूसरे मंत्रालयों के पास विचार के लिए भेजा जा चुका है। बताया जा रहा है कि मंत्रालयों से जल्द ही इस मसले पर हरी झंडी मिल सकती है। इसके अलावा पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी ऐक्ट में भी संशोधन जल्द ही होने की उम्मीद है। पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी ऐक्ट, 1972 के तहत सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रैच्युटी की राशि पर टैक्स में छूट मिलती है। वहीं, प्राइवेट नौकरी करने वालों को रिटायरमेंट पर मिलने वाली ग्रैच्युटी के 10 लाख रुपये तक होने पर कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन इसके बाद टैक्स चुकाना होता है। अब इस राशि को 20 लाख रुपये करने की सिफारिश की गई है।
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था कि प्राइवेट सेक्टर में भी टैक्स फ्री ग्रैच्युटी की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाए। दरअसल, 10 या उससे अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों पर ग्रैच्युटी ऐक्ट लागू होता है। यदि कोई संस्थान इस नियम के अंतर्गत एक बार आ जाता है तो उसके कर्मचारियों की संख्या 10 से कम होने के बाद भी इसका पालन करना अनिवार्य होता है। सरकारी कर्मचारियों के मामले में ग्रैच्युटी का पैसा रिटायर होने के बाद मिलता है, लेकिन लेकिन प्राइवेट सेक्टर और PSU में काम करने वाले कर्मचारी यदि 5 साल पूरा होने के बाद नौकरी छोड़ते हैं तो उन्हें ग्रैच्युटी का पैसा मिल जाता है।