नयी दिल्ली: नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ी चाल को तेज करने के लिये सरकार ने आज नौ लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। इस पैकेज में करीब सात लाख करोड़ रुपये ढांचागत क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं में खर्च के लिये हैं जबकि दो लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक राशि बैंकों में नई पूंजी डालने के लिये उपलब्ध कराये जायेंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यहां मंत्रालय के पांचों सचिवों और मुख्य आर्थिक सलाहकार की उपस्थिति में तमाम आर्थिक संकेतकों को हवाला देते हुये सरकार के इस दावे को सही ठहराया कि आर्थिक वृद्धि में आया धीमापन अब समाप्त हो चला है और अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से बढ़ने लगी है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिये उन्होंने ढांचागत क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं में 6.92 लाख करोड़ रुपये खर्च करने और एनपीए के बोझ तले दबे सरकारी क्षेत्र के बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिये उनमें दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की है।
रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों एमएसएमई की कोष तक और बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के साथ साथ मुद्रा रिण योजना को उनकी जरूरत के अनुरूप और बेहतर करना शामिल है। वित्त मंत्रालय ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक प्रस्तुतीकरण दिया गया जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज गति के रास्ते पर पहुंचने के बारे में बताया गया। इसमें कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी के 2014 में केन्द्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद पिछले तीन साल के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर्ज की गई है।
इसमें कहा गया कि पिछले तीन साल के दौरान भारत दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा है। जेटली ने कहा, 'और हमारी मंशा है कि भारत जो आज उच्च आर्थिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है, हम उस स्थिति को बरकरार रखें।'