नई दिल्ली: तीन तलाक पर जारी बहस के बीच राष्ट्रीय राजधानी स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने तलाक को सियासी मुद्दा बनाने के बजाय सरकार को मुस्लिम समाज में शादी के पंजीकरण की केन्द्रीय व्यवस्था कायम करने की पहल करने का सुझाव दिया है।
(देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें)
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मानद सदस्य डा. मुकर्रम ने तीन तलाक के मुद्दे को कुछ लोगों की नासमझी की उपज बताते हुये कहा कि सरकार को इस समस्या से निपटने के लिये निकाह ए काजी की आधिकारिक तैनाती की ब्रिटिशकालीन व्यवस्था को पर्सनल लॉ बोर्ड की मदद से बहाल करना चाहिये।
ये भी पढ़ें
उन्होंने कहा कि अगर सरकार तीन तलाक को प्रतिबंधित करने की कोशिश करेगी तो इससे विवाद और तलाक की समस्या, दोनों गहरायेंगे। इसके लिये शादी के आधिकारिक पंजीकरण की व्यवस्था कायम करना ही एकमात्र तात्कालिक उपाय है।
उन्होंने दलील दी कि आजादी के बाद अकारण ही निकाह के मान्यताप्राप्त काजियों की आधिकारिक तैनाती बंद होने और तीन तलाक की उभरती समस्या पर सरकारों की उपेक्षा से समस्या गहरा गयी है। मान्यताप्राप्त काजी से शादी करवाने की व्यवस्था से न सिर्फ शादियों का स्वत: पंजीकरण होने लगेगा बल्कि एकपक्षीय तलाक के बजाय शादी खतरे में पड़ने पर दंपति काजी के पास जायेंगे। इससे तीन तलाक पर भी स्वत: रोक लगेगी।
शाही इमाम ने तलाक पर अचानक शुरू हुई सियासत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुये कहा कि केन्द्र सरकार को व्यवस्थागत खामियों को दुरस्त करने की सकारात्मक पहल करना चाहिये। ऐसी किसी पहल में मदद की पेशकश करते हुये डॉ मुकर्रम ने कहा कि तलाक की यह समस्या अब तक की सरकारों द्वारा अपनी जिम्मेदारी के प्रति की गई उपेक्षा के कारण गहरा गयी है।
डा. मुकर्रम ने कहा कि कुरान में तीन तलाक का कोई जिक्र नहीं है। कुरान में तलाक को मजबूरी में उठाया गया ऐसा कदम बताया है जिससे अल्लाह नाराज और शैतान खुश होता है। उन्होंने कहा कि जिसे नामसमझी में तीन तलाक बताया जा रहा है वह असल में तलाक की प्रक्रिया के तीन चरण हैं जिसके अंतिम दो चरण दंपति को शादी बचाने की हरसंभव कोशिश करने के अवसर मुहैया कराते हैं।