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केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट से तीखी टिप्पणियां करने से बचने को कहा, कोर्ट ने लगाई फटकार

केन्द्र ने आज सुप्रीम कोर्ट से साफ-साफ कह दिया कि जनहित याचिकाओं पर वह तीखी टिप्पणियां करने से बचे क्योंकि इनका देश में फैले कई मुद्दों पर असर होता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 08, 2018 21:45 IST
supreme court- India TV Hindi
supreme court

नयी दिल्ली: केन्द्र ने आज सुप्रीम कोर्ट से साफ-साफ कह दिया कि जनहित याचिकाओं पर वह तीखी टिप्पणियां करने से बचे क्योंकि इनका देश में फैले कई मुद्दों पर असर होता है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पलटवार करते हुए कहा कि न्यायाधीश भी नागरिक हैं और देश के सामने खड़ी समस्याओं को जानते हैं। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वे ‘‘हर बात के लिए सरकार की आलोचना नहीं कर रहे हैं।’’ अदालत ने सरकार से ‘‘देश के कानून का पालन करने के लिए’’ भी कहा। 

सुप्रीम कोर्ट और शीर्ष विधि अधिकारी अटार्नी जनरल के बीच शब्दों का आदान-प्रदान उस समय हुआ जब पीठ देश की 1382 जेलों में व्याप्त अमानवीय स्थिति से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि वह शीर्ष अदालत की ‘‘आलोचना’’ नहीं कर रहे हैं लेकिन देश में बहुत समस्याएं हैं और अतीत में, उसके आदेशों और फैसलों ने ऐसी स्थिति पैदा की है जिससे लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी। 

उन्होंने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामलों और देश के राजमार्गों के 500 मीटर के भीतर शराब की बिक्री पर पाबंदी वाले आदेश से संबंधित जनहित याचिकाओं पर शीर्ष अदालत के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि इनका विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़ा और इसके बाद लोगों की नौकरियां चली गईं। शीर्ष विधि अधिकारी ने पीठ को बताया कि देश में कई समस्याएं हैं और अदालत को सरकार द्वारा की गई प्रगति पर भी गौर करना चाहिए। इस पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल थे। 

जस्टिस लोकुर ने जवाब दिया, ‘‘हम इनमें से कुछ समस्याओं को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं’’ और उन्होंने विधवाओं, बच्चों और कैदियों के अधिकारों से संबंधित मामलों का जिक्र किया जिन पर शीर्ष अदालत विचार कर रहा है। न्यायाधीश ने वेणुगोपाल से कहा, ‘‘हम भी इस देश के नागरिक हैं और हम देश के सामने मौजूद समस्याओं को जानते हैं।’’ अटार्नी जनरल ने अदालत से कहा कि हो सकता है कि किसी मामले से निपटते वक्त अदालत ने उस असर पर गौर नहीं किया हो जो कुछ अन्य पहलुओं पर हो सकता हो। 

जस्टिस लोकुर ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हमने हर चीज के लिए सरकार की आलोचना न तो की है और ना ही कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कृपया यह माहौल मत बनाइए कि हम सरकार की आलोचना कर रहे हैं और उसे उसका काम करने से रोक रहे हैं। आप अदालत के सकारात्मक निर्देशों की ओर भी देखिए।’’  (भाषा)

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