नई दिल्ली: सरकार मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग राज्यवर्धन राठौर के इस बयान से नाखुश है कि भारतीय सेना ने उग्रवादियों का सफाया करने के लिए म्यांमार की सीमा में प्रवेश किया था। इस अभियान को लेकर हो रहे प्रचार से म्यांमार नाराज है। इस वजह से सरकार ने राठौर के बयान से दूरी बना ली है।
दो वरिष्ठ मंत्रियों ने ईटी को बताया कि राठौर को यह बयान देने से बचना चाहिए था क्योंकि इससे म्यांमार अक्टूबर में होने वाले चुनाव से पहले मुश्किल स्थिति में आ गया है। इनमें से एक मंत्री ने कहा, 'हम अपनी धरती पर अभियान होने से इनकार करने की म्यांमार की मजबूरी समझते हैं। वहां चुनाव होने वाले हैं और राष्ट्रीय हित में ऐसा कहना जरूरी था। हमें इससे कोई समस्या नहीं है क्योंकि हमारा राष्ट्रीय हित पूरा हुआ है। राठौर के बयान से बचा जा सकता था।' एक अन्य वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, 'राठौर को इस तरह नहीं बोलना चाहिए था। इसकी क्या जरूरत थी?'
सरकार जानती है कि एनएससीएन (के) के प्रमुख एस एस खापलांग को सौंपने के लिए म्यांमार को मनाना होगा। खापलांग बर्मी नगा समुदाय का है। केंद्र को ऐसी जानकारी मिली है कि खापलांग ने म्यांमार सरकार से सुरक्षा की मांग की है क्योंकि वह म्यांमार का नागरिक है। मंत्री ने बताया, 'हमें सीमा पार मौजूद उग्रवादी कैम्पों पर हमले करने के लिए भविष्य में भी म्यांमार से मदद लेने की जरूरत है। डोभाल जल्द ही म्यांमार की यात्रा करने वाले हैं और वह म्यांमार को मनाने की कोशिश करेंगे।'
म्यांमार के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना ने हमले के लिए म्यांमार की सीमा में प्रवेश नहीं किया था। बयान के मुताबिक, 'म्यांमार कभी भी विदेशी विद्रोहियों को अपने क्षेत्र या सीमा के इलाके का इस्तेमाल बेस के तौर पर करने की इजाजत नहीं देगा। म्यांमार इस समस्या का हल निकालने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत और सहयोग करने के लिए तैयार है। म्यांमार में भारत के राजदूत ने गुरुवार को उप विदेश मंत्री से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी दी है।'
इस मुद्दे पर गुरुवार को होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह और नैशनल सिक्योरिटी अडवाइजर अजीत डोभाल, डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर, सेना के वाइस चीफ फिलिप कैम्पोस, आईबी के चीफ दिनेश्वर शर्मा के बीच बैठक हुई। इस बारे में राठौर से संपर्क नहीं हो सका। राठौर से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्हें इस विषय पर बोलने के लिए कहा गया था, लेकिन अब वह समझ रहे हैं कि सरकार का एक वर्ग उनके बयान से सहमत नहीं है।