मंडला (मप्र): बारह साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी देने के प्रावधान के लिए अध्यादेश लागू होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि कानून बनाने के साथ ही हमें परिवार में भी बेटियों के लिये सुरक्षा का वातावरण बनाना होगा। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल मंडला जिले के रामनगर में ‘‘राष्ट्रीय पंचायत राज सम्मेलन’’ को सम्बोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने बालिकाओं के साथ दुष्कर्म करने वाले राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों को फांसी देने का प्रावधान किया है। जब शिवराज जी (मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री) यहां यह बात कह रहे थे तो मैं देख रहा था लोग इसका भारी समर्थन कर रहे हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘दिल्ली में ऐसी सरकार है जो आपके दिल की बात सुनती है और निर्णय लेती है।’’ प्रधानमंत्री ने परिवार में बेटियों के लिये सुरक्षा का वातावरण बनाने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘परिवार में बेटों को जिम्मेदारी सिखायेंगे तो बेटियों की सुरक्षा कठिन नहीं होगी। हमें परिवार में भी बेटियों के लिये सुरक्षा का वातावरण बनाना होगा। इस हेतु समाज में एक माहौल बनाना होगा और देश को इस मुसीबत से निकालना होगा।’’
मोदी ने पंचायत जनप्रतिनिधियों से कहा कि उन्हें अपने गांव के किसानों को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिये शिक्षित करना चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘पहले बांस को एक पेड़ माना जाता था, इसलिये गांव में इसका उपयोग नहीं हो पाता था। लेकिन केन्द्र सरकार ने अब इसे घास की श्रेणी में कर दिया है। अब किसान अपने खेत की मेड़ पर बांस उगाकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकता है। देश प्रतिवर्ष 12,000 से 15,000 करोड़ रूपये के बांस का आयात करता है।’’
प्रधानमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों से अपील की कि वे अप्रैल, मई और जून माह में मनरेगा की राशि केवल जल संवर्द्धन के कार्यो पर ही खर्च करें। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बरसात का पानी संग्रह करने पर काम करना चाहिये। इससे हमारा धन भी बचेगा और गांवों में पानी की किल्लत भी कम होगी, साथ ही यह कृषि में भी सहायक होगा।’’
देश की आजादी के आंदोलन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी की लड़ाई की दास्तान कुछ ही परिवारों के आसपास सिमट गयी। जबकि आजादी की लड़ाई में अनेक जनजातीय लोगों के साथ सैकड़ों परिवारों ने अपना बलिदान दिया था, लेकिन उन्हें भुला दिया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इतिहास में उनका नाम क्यों दर्ज नही हुआ। ऐसा क्यों हुआ, पता नहीं। लेकिन अब 1857 से आजादी तक स्वतंत्रता की लडाई में शामिल हुए ऐसे भुला दिये गये लोगों और उनके अहम योगदान को याद करने के लिये भारत के प्रत्येक राज्य में एक-एक संग्रहालय स्थापित किया जायेगा और बच्चों को उनके बलिदान के बारे में बताया जायेगा।’’