नई दिल्ली। सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिय्रे शुक्रवार को कई उपायों की घोषणा की। सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और घरेलू निवेशकों की शेयरों की खरीद - फरोख्त से होने वाली आय पर ऊंचे कर - अधिभार को वापस ले लिया और इस मामले में पुरानी स्थिति बहाल कर दी।
स्टार्टअप कंपनियों को एंजल कर से छूट
इसके अलावा , स्टार्टअप कंपनियों को एंजल कर से छूट , मुश्किल में फंसे वाहन उद्योग के लिए राहत उपाय और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की अग्रिम पूंजी डालने की घोषणा की। इससे बैंक अधिक मात्रा में नकदी उपलब्ध करा सकेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज इन उपायों की घोषणा खासतौर पर बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में की।
बैंकों ने घर और वाहन के लिए कर्ज पर ब्याज दर घटाने का फैसला किया
उन्होंने कहा कि मांग बढ़ाने के लिए बैंकों ने घर और वाहन के लिए कर्ज पर ब्याज दर घटाने का फैसला किया है। इससे आम आदमी के विभिन्न कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) में कमी आएगी। वित्त मंत्री ने वादा किया सुधार और उपायों की घोषणा अगले हफ्ते भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े कदमों की घोषणा अगले हफ्ते की जाएगी।
सभी लंबित जीएसटी रिफंड का भुगतान 30 दिन के अंदर करने को कहा
सीतारमण ने एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए , उनके अब तक के सभी लंबित जीएसटी रिफंड का भुगतान 30 दिन के अंदर करने को कहा है। इसके अलावा , सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरू में ही 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डाली जायेगी। इससे बैंक बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये तक की नकदी जारी करने में सक्षम होंगे।
रीयल एस्टेट क्षेत्र में सुधार के लिए उठाया ये कदम
रीयल एस्टेट क्षेत्र में सुधार के लिए आवास वित्त कंपनियों को अतिरिक्त नकदी सहायता बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपये की गई। वाहन क्षेत्र के लिए कई राहत उपाये किए गए हैं। इनमें 31 मार्च 2020 तक खरीदे गए बीएस -4 उत्सर्जन मानक के वाहन , उनकी पंजीकरण की पूरी अवधि तक परिचालन में बने रहेंगे। साथ ही 31 मार्च 2020 तक खरीदे गए वाहनों पर 15 प्रतिशत के अतिरिक्त मूल्यह्रास की अनुमति है।
सीएसआर नियमों के उल्लंघन को दिवानी मामले की तरह देखा जाएगा
कंपनियों को राहत देते हुए कहा कि कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) नियमों के उल्लंघन को दिवानी मामले की तरह देखा जाएगा , इसे आपराधिक मामला नहीं माना जायेगा। इस वर्ष बजट घोषणा के बाद से शेयर बाजार में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बाजार से निकासी कर रहे थे। उधर, यात्र वाहनों की बिक्री में जुलाई माह में तीव्र गिरावट दर्ज की गई। वाहन उद्योग मांग की कमी से जूझने लगा था। देश- दुनिया से आर्थिक सुस्ती को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही थी। निवेशकों और उद्योग जगत की तरफ से सरकार की ओर से प्रोत्साहन उपाय किये जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया था।