नई दिल्ली | संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद मोदी सरकार की प्राथमिक योजनाओं में यह भी सुनिश्चित करना है कि कश्मीर घाटी में उत्पादित होने वाले सेब का सही मूल्य सुनिश्चित हो। सरकार का यह कदम स्थानीय लोगों का दिल जीतने के लिए है। सरकार इस दिशा में किस प्रकार से आगे बढ़ेगी, इसके बारे में अब और अधिक स्पष्टता दिखाई दे रही है। न केवल भारत सरकार ने 2019 के वर्तमान सत्र के दौरान जम्मू एवं कश्मीर में उत्पादित सेबों की खरीद की घोषणा की है, बल्कि भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी
विपणन संघ (नेफेड) ने भी 15 दिसंबर तक राज्य सरकार की एजेंसियों के माध्यम से खरीद प्रक्रिया को पूरा करने की बात कही है। सरकार ने फैसला किया है कि वास्तविक सेब उत्पादकों से सीधे तौर पर खरीदी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई कमीशन लेने वाला बिचौलिया न हो।
इसके अलावा पारदर्शिता लाने के साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए राज्य सरकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे सेब उत्पादक के बैंक खाते में भुगतान की प्रक्रिया शुरू करेगी। सरकार का कहना है कि सेब की विभिन्न श्रेणियों के लिए उचित मूल्य समिति द्वारा तय किए जाएंगे, जिसमें राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड का एक सदस्य शामिल होगा।
कश्मीरियों को खुश करने के लिए सरकार की योजना है कि उन्हें उनकी उपज की बंपर कीमत हासिल हो सके। एक गुणवत्ता समिति सेब की किस्मों की उचित ग्रेडिंग सुनिश्चित करेगी। मुख्य सचिव राज्य स्तर पर कार्यान्वयन और समन्वय समिति के लिए जिम्मेदार होगा। सरकार का कहना है कि कृषि मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अन्य केंद्रीय एजेंसियां योजना के सुचारु क्रियान्वयन की देखरेख करेंगी।