नई दिल्ली: भारत सरकार ने रविवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए रमजान के दौरान कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ किए गए सीजफायर को आगे न बढ़ाने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले के बाद अब सुरक्षाबल और सेना कश्मीर में पहले की ही तरह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाइयों को अंजाम दे सकेंगे। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में सीजफायर का ऐलान 15 मई को किया था। घाटी में शांति बहाली को लेकर सरकार के इस कदम की काफी सराहना भी हुई थी।
आतंकियों के खिलाफ एकतरफा संघर्षविराम को खत्म करने के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, 'यह जरूरी है कि सभी समुदायों के शांतिप्रिय लोग आतंकियों को अलग-थलग करने के लिए एकसाथ आएं और जो लोग रास्ता भटक गए हैं उन्हें शांति के मार्ग पर लाएं।' राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षाबलों को निर्देश दिए गए हैं कि आतंकियों को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं।
राजनाथ सिंह ने सीजफायर के फैसले पर ट्वीट करते हुए लिखा, 'यह फैसला जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ पूरे देश के लोगों की तरफ से सराहा गया और आम नागरिकों के लिए राहत लेकर आया। यह आशा की गई थी कि हर कोई इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने में मदद करेगा। सुरक्षाबलों ने इस अवधि के दौरान अनुकरणीय संयम प्रदर्शित किया जबकि आतंकवादियों ने हमले करने जारी रखे, जिसके परिणामस्वरूप लोगों की मौतें हुईं और वे घायल हुए।'
इससे पहले सरकार सीजफायर लागू करते हुए भी यह साफ किया था कि अगर इस दौरान सुरक्षाबलों पर हमला होगा तो हमारे सैनिक हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रहेंगे। सीजफायर के दौरान घाटी में कुछ दिनों तक शांति भी रही थी, लेकिन बीते कुछ दिनों से एक बार फिर पत्थरबाजों ने घाटी में अपने हमले फिर शुरू कर दिए थे। सीजफायर के दौरान ही सेना के जवान राइफलमैन औरंगजेब की आतंकियों ने अगवा कर हत्या कर दी थी। इसके अलावा पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या ने भी सीजफायर के औचित्य पर सवाल उठा दिए थे। अब सीजफायर के खात्मे के साथ ही एक बार फिर से सेना और सुरक्षाबलों को आतंकियों पर पहले की तरह टूट पड़ने की खुली छूट मिल गई है।