नई दिल्ली: आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को जमानत दिए जाने पर मोदी सरकार पर आतंकवाद के मामलों पर नरम होने का आरोप लगाया। पुरोहित 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी है। ओवैसी ने कहा कि पुरोहित जैसे एक आतंकवाद के आरोपी का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए, जैसा कि कुछ लोग करने के प्रयास में जुटे हुए हैं।
ओवैसी ने एक इंटरव्यू में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस तरह के मामलों का (जिनमें कथित हिंदुत्व आतंकवादी शामिल हों) एक पैटर्न दिख रहा है। सरकार जमानत और रिहाई के खिलाफ अपील नहीं कर रही है। क्या सरकार इस तरह के मामलों में नरमी बरत रही है?" उन्होंने कहा, "लोक अभियोजक रोहिणी सालियान ने आरोप लगाया था कि उन पर एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के अधिकारी मामलों को कमजोर करने का दबाव बना रहे हैं।" महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में विस्फोट में सात लोगों की 29 सितंबर 2008 को मौत हो गई थी। जांच एजेंसी ने विस्फोट के लिए अभिनव भारत पर आरोप लगाया था।
25 अप्रैल को बंबई उच्च न्यायालय ने मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दे दी थी लेकिन पुरोहित को जमानत नहीं मिली थी। इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील हुई जहां पुरोहित को जमानत मिल गई।कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि पुरोहित की जमानत की संभावना लग ही रही थी क्योंकि 'मोदी सरकार आरएसएस से जुड़े सभी आरोपियों के रक्षा कर रही है।'कांग्रेस नेता ने मामले में एनआईए की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "एनआईए प्रमुख को इनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए दो सेवा विस्तार दिए गए। उन्हें अब सेवानिवृत्ति के बाद एक बार फिर से बेहतर पद से नवाजा जा सकता है।"