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सरकार-किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को बनेगी बात? जानिए अबतक क्या हुआ

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों और सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार (15 जनवरी) को होगी और केंद्र को उम्मीद है कि चर्चा सकारात्मक होगी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : January 14, 2021 23:09 IST
Farmers stage a protest against Centre's farm reform laws at Tikri border, in New Delhi on Thursday.
Image Source : PTI Farmers stage a protest against Centre's farm reform laws at Tikri border, in New Delhi on Thursday.

नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों और सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता तय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार (15 जनवरी) को विज्ञान भवन में होगी और केंद्र को उम्मीद है कि चर्चा सकारात्मक होगी। नये कृषि कानूनों के मसले का समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट की पहल के बावजूद केंद्र सरकार आंदोलन की राह पकड़े किसान नेताओं के साथ वार्ता जारी रखेगी। 

तोमर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार खुले मन से किसान नेताओं के साथ बातचीत करने को तैयार है।’’ उच्चतम न्यायालय द्वारा गतिरोध सुलझाने के लिए चार सदस्यीय कमेटी नियुक्त किए जाने और फिर एक सदस्य के इससे अलग हो जाने के कारण नौवें दौर की वार्ता को लेकर भ्रम की स्थिति को दूर करते हुए तोमर ने कहा कि सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच 15 जनवरी को दिन में 12 बजे से बैठक होगी। 

किसान संगठनों ने समिति के सदस्यों को लेकर जाहिर की आशंका 

किसान संगठनों ने कहा है कि वे सरकार के साथ वार्ता करने को तैयार हैं। लेकिन, वे उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त कमेटी के समक्ष पेश नहीं होना चाहते हैं। किसान संगठनों ने समिति के सदस्यों को लेकर आशंका जाहिर करते हुए कहा कि इसके सदस्य पूर्व में तीनों कानूनों की पैरवी कर चुके हैं। इससे पहले दिन में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने कहा कि वह कृषि कानूनों पर किसानों और केंद्र के बीच गतिरोध को सुलझाने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति से अलग हो गए हैं। 

किसानों की सिर्फ दो मांगें बची हैं- हरिंदर सिंह लाखोवाल

उधर, भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि शुक्रवार (15 जनवरी) को 12 बजे किसान संगठनों के प्रतिनिधि सरकार के साथ वार्ता के लिए जाएंगे जिसमें वह भी शामिल होंगे। नौवें दौर की वार्ता का मुख्य विषय क्या होगा? इस सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों की सिर्फ दो मांगें बची हैं जो प्रमुख हैं और इनमें से पहली मांग तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की है। इस मांग के पूरी होने पर ही किसान नेता दूसरी मांग पर चर्चा करेंगे।

किसानों के हितों से समझौता नहीं कर सकता- किसान नेता मान सिंह

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने कहा कि समिति में उन्हें सदस्य नियुक्त करने के लिए वह शीर्ष अदालत के आभारी हैं लेकिन किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए वह उन्हें पेश किसी भी पद का त्याग कर देंगे। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘खुद किसान होने और यूनियन का नेता होने के नाते किसान संगठनों और आम लोगों की भावनाओं और आशंकाओं के कारण मैं किसी भी पद को छोड़ने के लिए तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो।’’ मान ने कहा, ‘‘मैं समिति से अलग हो रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा।’’

नए कृषि कानूनों को निरस्त करवाने पर अड़े किसान

पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान नए कृषि कानूनों को निरस्त करवाने के लिए पिछले कई सप्ताह से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठन, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार, कानून, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून को निरस्त किए जाने की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड के मौके पर ट्रैक्टर मार्च का ऐलान भी किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया है और मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा।

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