नई दिल्ली: राज्यसभा में दलितों के खिलाफ हिंसा और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बाद शुरु हुयी बैठक फिर से स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद द्वारा सदन की कार्यवाही सुचारु बनाने आश्वासन देने के बाद उपसभापति पी जे कुरियन ने ज्यों ही महत्पूर्ण दस्तावेज सदन पटल पर रखवाना शुरु किया, तेदेपा सहित अन्य दलों के सदस्यों ने नारेबाजी शुरु कर दी। इस पर कुरियन ने बैठक को 30 मिनट के लिये स्थगित कर दिया। इसके पहले आजाद ने सत्तापक्ष पर सदन में गतिरोध उत्पन्न करने का आरोप लगाते हुये कहा कि समूचा विपक्ष विधेयकों को पारित कराने और चर्चा में हिस्सा लेने का पक्षधर है। लेकिन सदन के बाहर यह छवि बनायी जा रही है कि विपक्ष हंगामा कर सदन को नहीं चलने दे रहा है। जबकि हकीकत यह है कि सत्तापक्ष सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलने देने को तैयार नहीं है।
आजाद ने कहा कि जब संप्रग की सरकार थी तब और अब मौजूदा सरकार ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। इसलिये इस मुद्दे को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। इसके बाद उन्होंने दलित समुदायों के संरक्षण के लिये बने कानून को कमजोर करने का मुद्दा उठाया। इस पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने नारेबाजी शुरु कर दी। कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर जाने का अनुरोध करते हुये कहा कि सदन में इन मुद्दों पर नारेबाजी करने से बेहतर चर्चा कराना है।
कुरियन ने अल्पकालिक चर्चा के लिये जदयू के हरिवंश और भाजपा द्वारा नामित सदस्य रूपा गांगुली का नाम भी पुकारा। हंगामे के बीच ही आसन की अनुमति से राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल ने सीमा शुल्क तटकर अधिनियम 1975 में संशोधन प्रावधानों के प्रस्ताव और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में संशोधन प्रस्ताव के प्रतिवेदन को सदन पटल पर पेश किया।