महेसाणा (गुजरात): महेसाणा जिले में स्थित शक्ति पीठ बहुचरा मंदिर में मां बहुचरा को हर साल दशहरे के मौके पर एक खास हार पहनाया जाता है। साल में सिर्फ एक ही बार मां बहुचरा को यह हार पहनाया जाता है। यह कोई ऐसा वैसा हार नहीं है बल्कि बेहद ही बेशकीमती हार है। हार को साल 1839 में मेहसाणा स्थित बहुचरा माता के मंदिर को अर्पण किया गया है।
177 साल पुराने जिस हार को बहुचरा को हर साल दशहरे पर पहनाया जाता है, उस हार की कीमत 300 करोड़ रुपये है। हालांकि, जब 1839 में हार को माता को अर्पण किया गया था तब इसकी कीमत 9 लाख रुपये थी। तब इसे नवलखा हार भी कहा जाता था। अभी की वैल्यूएशन के हिसाब से इसकी कीमत 300 करोड़ आंकी गई है। बता दें कि हर साल इसकी वैल्यूएशन की जाती है।
हार की बनावट बेहद खूबसूरत है। हार में 6 मूल्यवान नीलम और 150 से ज्यादा हीरे जड़े हुए हैं, जो इसकी सुंदरता को बढ़ा रहे हैं। बताया जाता है कि वडोदरा के राजवी श्रीमंत मनाजीराव गायकवाड़ जब कड़ी प्रांत के सूबेदार थे, तब उन्हें असाध्य रोग हो गया था। जिससे निजात पाने के लिए उन्होंने मन्नत मांगी थी। तब उनका दर्द ठीक हुआ और वह राजा भी बन गए। जिसके बाद 1839 में उन्होंने मां भव्य मंदिर बनवाया और उन्हें नवलखा हार अर्पण किया।
करोड़ों की कीमत का यह हार कड़ी सुरक्षा के बीच रखा जाता है, जिसे केवल दशहरे पर ही कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच मां बहुचरा को पहनाया जाता है।