नई दिल्ली: बिहार के मुंगेर में साढ़े तीन साल की छोटी बच्ची सना को रेस्क्यू टीम ने 31 घंटे बाद बोरवेल से सही सलामत बाहर निकाल लिया है। सना को बोरवेल से निकालने के बाद एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया जहां उसे आईसीयू में रखा गया है। डॉक्टर्स ने बताया कि सना सही सलामत है। रेस्क्यू टीम शाम में ही सना के करीब पहुंच चुकी थी लेकिन ऑपरेशन आखिरी दौर में थोड़ी देर लगी। मौके पर एंबुलेंस मौजूद थी और एसपी ने पुलिसकर्मियों को ह्युमैन चेन बनाने को कहा दिया था। मुंगेर के एसपी ने इंडिया टीवी को बताया कि बच्ची का पैर पाइप में फंसा हुआ था जिसकी वजह से रेस्क्यू में देरी हुई। वहीं सना के माता-पिता और अन्य परिजनों ने एनडीआरएफ, सेना, स्थानीय प्रशासन का आभार जताया है।
घटनास्थल से अस्पताल तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया था ताकि सना को तुरंत अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान सना लगातार अपनी मां से बात कर रही थी। सना की मां उसका हौसला बढ़ा रही थी और सना की मां जब कुछ बोलती थी तो सना उसका जवाब दे रही थी। सना की निगरानी के लिए जो सीसीसीटीवी लगाया गया था उसमें भी सना का हाथ हिलता हुआ दिखाई दे रहा था। वह बोरवेल में 42 फीट नीचे फंसी थी।
मुंगेर में जमीन से 43 फीट नीचे जिंदगी की सबसे बड़ी जंग चल रही थी। आर्मी और एसडीआरएफ के जवान पिछले 31 घंटे से साढ़े तीन साल की बच्ची सना को बचाने के लिए युद्धस्तर पर अभियान चला रहे थे। मासूम सना 100 फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी और करीब 42 फीट की गहराई पर फंसी थी। सना का सिर्फ हाथ दिख रहा था जिसमें थोड़ी-थोड़ी देर पर हलचल हो रही थी। उसे सांस लेने में दिक्कत ना हो इसके लिए पाइप के जरिये ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा था।
बोरवेल के सामानातंर गड्ढा खोदा गया
रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही सेना और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने बोरवेल के सामानातंर गड्ढा खोदा । इसी गड्ढे से सुरंग बनाकर बचाव टीम बोरवेल तक पहुंचीऔर बच्ची को सुरक्षित निकाला। बच्ची से मां-बाप लगातार बात करने की कोशिश करते रहे। वो बीच-बीच में जवाब भी दे रही थी। मौके पर रेस्क्यू टीम के साथ डॉक्टर भी मौजूद रहे जो लगातार अंदर फंसी बच्ची की हर हरकत पर नजर रख रहे थे। डॉक्टर के मुताबिक अच्छी बात ये रही कि बच्ची की हालत स्थिर थी। वो रेस्पॉन्ड कर रही थी। उसे एक पाइप के ज़रिये ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही थी।