नई दिल्ली। सीनियर कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने पहली बार इस राज़ को उजागर किया है कि Group of 23 के नेताओं ने सोनिया गांधी को क्यों पत्र लिखा था जिसमें मांग की गई थी कि पार्टी में फुलटाइम अध्यक्ष बने जो हर वक्त कार्यकर्ताओं को नजर आए। इंडिया टीवी की विशेष संवाददाता विजय लक्ष्मी को दिए गए एक खास इंटरव्यू में ग़ुलाम नबीं आज़ाद ने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि श्रीमती (सोनिया) गांधी के इस्तीफे के बाद कोई तीसरा व्यक्ति पार्टी का अन्तरिम अध्यक्ष बने।
गुलाम नबीं आज़ाद ने इसकी वजह भी बताई. कहा कि किसी तीसरे व्यक्ति के अन्तरिम अध्यक्ष बनने पर उसेचीज़ों को लागू करने का अधिकार न होता। 24 अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी नेताओं की तरफ से इसी पत्र को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हुई, बैठक के दौरान कई नेताओं ने पत्र लिखने वाले नेताओं को यहां तक कह दिया कि इतने वरिष्ठ होने के बावजूद उनसे पत्र लिखने की गलती कैसे हो गई।
पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। इंडिया टीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने बताया कि आखिर उन्हें कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र क्यों लिखा। गुलाम नबी आजाद से किए गए सवाल और उन सवालों के जवाब इस तरह से हैं।
प्रश्न: क्या वजह थी कि आपको कांग्रेस अध्यक्षा को पत्र लिखना पड़ा? पत्र लिखने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए गए।
गुलाम नबी आजाद: पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को ध्यान में रखते हुए और पार्टी को मजबूत करने के लिए ही पत्र लिखा गया था। सब जानते हैं कि राहुल गांधी ने पिछले साल अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था और पत्र लिखने वाले नेताओं सहित पूरी पार्टी उन्हें फिर पार्टी अध्यक्ष पद संभालने के लिए मनाने में असफल रही। उसके बाद, श्रीमति गांधी से पूरी कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने अनुरोध कर अंतरिम अध्यक्ष बनने के लिए कहा, उनका कार्यकाल खत्म होने को था और इसी को ध्यान में रखते हुए हमने अगस्त में पत्र लिखा। हमें लगा था कि श्रीमति गांधी शायद आगे अंतरिम अध्यक्ष न बनें और ऐसी स्थिति में किसी तीसरे व्यक्ति को अंतरिम अध्यक्ष बनाना पड़ता। स्थाई अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अगर कोई तीसरा व्यक्ति अंतरिम अध्यक्ष बनता तो इससे कांग्रेस पार्टी का कामकाज प्रभावित होता, क्योंकि किसी तीसरे व्यक्ति के अंतरिम अध्यक्ष बनने पर, उसे चीजों को लागू करने का अधिकार नहीं होता और अंतरिम अध्यक्ष के लिए जिन लोगों के नाम चल रहे थे उनमें कोई बनता तो पार्टी के लिए घातक होता। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कांग्रेस अध्यक्षा को लिखा कि नया अध्यक्ष पूरी तरह एक्टिव होना चाहिए जो संसदीय बोर्ड का गठन कर सके, कार्यसमितियों का चुनाव कर सके और राज्य, जिला तथा ब्लॉक अध्यक्षों का चुनाव कर सके। अगर हमें भाजपा सरकार से मुकाबला करना है तो पार्टी को मजबूत करने के लिए हमारे पास कुछ योजना होनी चाहिए।
प्रश्न: ऐसा कहा गया कि यह सब गांधी परिवार के खिलाफ था
गुलाम नबी आजाद: मिस्टर गांधी (राहुल गांधी) ने चुने हुए अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था और हम आश्वस्त थे कि वे अंतरिम अध्यक्ष का पद नहीं संभालेंगे। क्योंकि श्रीमति गांधी (सोनिया गांधी) एक साल के लिए अंतरिम अध्यक्ष बनने के लिए राजी हुईं थी और उनका एक साल पूरा होने वाला था, ऊपर से कोरोना की वजह से AICC का सत्र नहीं बुलाया जा सका, तो ऐसे में किसी तीसरे व्यक्ति के अंतरिम अध्यक्ष बनने की 100 प्रतिशत संभावना थी। और अंतरिम अध्यक्ष के पद को लेकर जो नाम सामने आ रहे थे, हमारी राय में वो ऐसे लोग नहीं थे जो संगठन को चला सकते। श्रीमति गांधी के अलावा अगर कोई तीसरा व्यक्ति नियुक्त होता तो पार्टी के अंदर स्थिरता और भ्रम फैलता। इसी को लेकर हम जल्दबाजी में थे और पत्र लिखा गया।
प्रश्न: इस तरह के आरोप लगे कि आप और आपके सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से मिले हुए हैं।
गुलाम नबी आजाद: मैं आहत हूं, मेरे कुछ सहयोगियों ने सवाल उठाए कि पत्र से भारतीय जनता पार्टी को फायदा हो सकता है। राहुल गांधी ने ऐसा नहीं कहा था, किसी और ने कहा था। मैने कहा कि मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाया है, अगर वह सच साबित होता है, तो पत्र लिखने वाले सभी लोगों की तरफ से मैं त्यागपत्र दे दूंगा। पिछले 34-35 वर्षों से मैं कांग्रेस वर्किंग कमेटी में हूं, मैंने 5 कांग्रेस अध्यक्षों के साथ काम किया है। हमने कई बार कई विषयो पर चर्चा की है और मुद्दे उठाए है लेकिन पार्टी के किसी भी व्यक्ति ने आजतक यह नहीं कहा था कि सवाल किसी दूसरी पार्टी के नेताओं के प्रभाव में उठाए जा रहे हैं।
प्रश्न: आपने कहा कि आप तीसरा अंतरिम अध्यक्ष नहीं चाहते और इसके लिए आपने कांग्रेस अध्यक्षा को पत्र लिखा, आजकल इस तरह की चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी को गांधी परिवार के बाहर से अध्यक्ष मिलेगा, क्या ऐसा संभव है?
गुलाम नबी आजाद: मैं नहीं बता सकता कि कौन अध्यक्ष होगा और कौन नहीं, यह लोकतंत्र है और पार्टी अध्यक्ष के लिए आरक्षण नहीं हो सकता। जो भी चुना जाएगा वह पार्टी का नेता होगा और पार्टी में सभी को मान्य होगा। पार्टी में कोई भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ सकता है और न तो किसी को पहले ऐसा करने से रोका गया और न भविष्य में रोका जाएगा।
प्रश्न: पत्र लिखने वाले 23 नेता अब क्या करेंगे, भविष्य में आपकी क्या योजना है?
गुलाम नबी आजाद: यह अध्याय अब समाप्त हो चुका है, क्योंकि पार्टी में कोई तीसरा व्यक्ति अंतरिम अध्यक्ष नहीं बनने जा रहा। श्रीमति गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद पर बने रहने की CWC की मांग मान ली है, CWC ने तय किया है कि 6 महीने में पार्टी के चुनाव होंगे और संगठन को मजबूत करने के लिए जो भी मुद्दा होगा वह पार्टी द्वारा चुने जाने वाले नए अध्यक्ष के सामने पार्टी प्लेटफॉर्म पर रखा जाएगा।
प्रश्न: आप कह रहे हैं कि मुद्दा समाप्त हो चुका है, इसका मतलब है कि आप आगे इसको लेकर कुछ नहीं करेंगे
गुलाम नबी आजाद: CWC बैठक खत्म होने पर श्रीमति गांधी ने अपने समापन वक्तव्य में कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं के खिलाफ उनके मन में कोई मैल नहीं है और वे पत्र लिखने के भी खिलाफ नहीं थीं, लेकिन पत्र को मीडिया में लीक किए जाने से नाराज थीं। उन्होंने यह भी कहा कि यह सब बीत चुकी बाते हैं और हम सब एक परिवार हैं। मुझे लगता है कि यह बात खत्म हो चुकी है और अब हम सभी को मिलकर काम करना है, पार्टी को मजबूत करना है और मिलकर विभाजनकारी ताकतों से लड़ना है। यह बात अब खत्म हो चुकी है, जहां तक हमारे उठाए सवालों और मुद्दों की बात हैं तो उन्हें हम बतौर अंतरिम अध्यक्ष श्रीमति गांधी के सामने नहीं उठा सकते। ये कोई ऐसे मुद्दे नहीं हैं जिन्हें तुरंत उठाने की जरूरत है, इन्हें बाद में पूर्णकालिक अध्यक्ष के सामने ही उठाया जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि हमने उन मुद्दों को छोड़ दिया है, यह मुद्दे बेहद जरूरी हैं और सिर्फ ये ही पार्टी को मजबूत कर सकते हैं। यह मुद्दे सिर्फ नए चुने जाने वाले पार्टी अध्यक्ष के सामने ही रखे जा सकते हैं। वह (पार्टी अध्यक्ष) कोई भी हो, वह हम सभी को मान्य होगा क्योंकि वह एक चुना हुआ अध्यक्ष होगा।
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